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04 दिसंबर 2010

निर्यात पर रोक हटने का इंतजार

नई दिल्ली December 03, 2010
वैश्विक बाजारों को भारत से गेहूं के निर्यात पर लगी रोक हटने का इंतजार है। दुनिया में दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत में इस साल गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। ऐसे में वैश्विक बाजारों को उम्मीद है कि भारत सरकार गेहूं के निर्यात की अनुमति दे सकती है। हालांकि गेहूं निर्यात की अनुमति पर महत्वपूर्ण सरकारी विभागों की अलग-अलग राय है। एक ओर तो वित्त और वाणिज्य मंत्रालय गेहूं निर्यात का दरवाजा खोल देने के पक्ष में है ताकि इससे लाभ लिया जा सके। वहीं दूसरी तरफ, खाद्य एवं कृषि मंत्रालय का मानना है कि देश में खाद्य जरूरतों के मद्देनजर गेहूं निर्यात पर साढ़े तीन साल से लगा प्रतिबंध जारी रहना चाहिए। रोबो बैंक के अनुसार, 'भारत से गेहूं निर्यात की अनुमति मिल जाने से अंतरराष्टï्रीय बाजार में इसकी निर्णायक भूमिका होगी। वैश्विक बाजारों में आपूर्ति बढऩे की स्थिति में मूल्यों में सुधार की गुंजाइश बनती है।Ó फसल सत्र 2009-10 में भारत ने रिकॉर्ड 8.07 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन किया था। चालू रबी सत्र के दौरान सरकार का लक्ष्य 8.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का है। गेहूं पर शोध करने वाली संस्था गेहूं शोध निदेशालय के मुताबिक गेहूं का घरेलू उत्पादन करीब 8.2 करोड़ टन पहुंचने की उम्मीद है। सरकार की अनाज खरीद व वितरण एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 1 नवंबर तक 2.55 करोड़ टन गेहूं का भंडार हो चुका था। यह आंकड़ा साल भर में जन वितरण प्रणाली के तहत बांटे जाने वाले अनाज से कहीं ज्यादा है। जबकि गेहूं का दूसरा फसल सत्र अप्रैल 2011 से शुरू हो जाएगा। ऐसे में अप्रैल के बाद गेहूं की नई फसल तैयार होकर आ जाएगी। अनुमान के तहत अगले सत्र में गेहूं की 8.2 करोड़ टन पैदावार तैयार होकर बाजार में आ जाएगी। हालांकि एफसीआई अधिक से अधिक 2.5 करोड़ टन गेहूं की खरीद कर सकती है क्योंकि वह सुरक्षित भंडारण क्षमता में कमी की समस्या से जूझ रही है। यहां पहले ही 2.3 करोड़ टन चावल के सुरक्षित भंडारण में दिक्कत हो रही है। पैदावार अच्छी होने की वजह से देश में इस समय जरूरत से ज्यादा खाद्यान्न मौजूद है। इसके बावजूद सरकार खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ जाने की डर से गेहूं और चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देना चाहती है। इस सप्ताह की शुरुआत में एफसीआई के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन सिराज हुसैन ने कहा था, 'लोगों की जरूरत के मुताबिक देश के पास खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है, लेकिन इतना भी ज्यादा नहीं कि इसका निर्यात किया जाए।Ó घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत 1,300 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर स्थिर है। लेकिन एफसीआई बाजार में कम दाम पर गेहूं की बिक्री नहीं कर रही है बल्कि प्रचलित बाजार मूल्य को बनाए रखने में मदद कर रही है। दूसरी तरफ वैश्विक स्तर पर गेहूं उत्पादन कम रहने की आशंका से अंतरराष्टï्रीय बाजारों में इसके दाम तेजी से भाग रहे हैं। खराब मौसम की वजह से ज्यादातर देशों में गेहूं उत्पादन प्रभावित हुआ है। वैश्विक स्तर पर इस साल कम होगी उपजकृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) ने ताजा अनुमान जाहिर करते हुए कहा है कि वर्ष 2010 में गेहूं का वैश्विक उत्पादन 64.8 करोड़ टन रहेगा। यह आंकड़ा जून माह में जारी अनुमान के मुकाबले 2.9 करोड़ टन कम है। रूस व अन्य देशों में गेहूं के कम उत्पादन को देखते हुए इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। एफएओ के मुताबिक उत्पादन घटने से वैश्विक स्तर पर मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर और बढ़ जाएगा जिससे गेहूं के दामों में और बढ़ोतरी हो सकती है। (BS Hindi)

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