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25 नवंबर 2010

बायोडीजल कार्यक्रम की राह में अड़चन

नई दिल्ली November 24, 2010
एक ओर जहां पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने का कार्यक्रम फिर से जोर पकड़ रहा है वहीं बायोडीजल तैयार करने का काम कच्चे पदार्थों की ऊंची कीमत, मार्केटिंग और राज्य सरकारों द्वारा इस पर दोगुना कर वसूलने के चलते प्रभावित हो रहा है। बायोडीजल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक इसकी क्षमता 12 लाख टन बढ़ाने के लिए करीब 1200 करोड़ रुपये के निवेश की योजना अधर में लटकी है। एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप चतुर्वेदी के अनुसार, 'योजना आयोग ने बायोडीजल के उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए एक नीति तैयार की थी। इसके तहत इमामी और रुचि जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश के लिए आगे आईं। लेकिन इस नीति को लागू करने की जिम्मेदारी गैर अक्षय ऊर्जा मंत्रालय की है। जबकि बायोडीजल का वितरण और विपणन केवल तेल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) ही कर सकती हैं। यहां तक कि उद्योग इसकी बिक्री सीधे औद्योगिक उपयोगकर्ताओं को भी नहीं बेच सकती है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय स्तर पर बायोडीजल तैयार करने के काम को आगे बढ़ा पाना मुश्किल है।'गैर अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा तैयार ड्राप्ट के मुताबिक पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय बायोडीजल नीति की घोषणा की थी। इस नीति का उद्देश्य बायेईंधन का उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में जैट्रोफा समेत देसी जैव ईंधन तैयार करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना रहा है। नीति में प्रस्तावित किया गया है कि बायोडीजल और बायोएथेनॉल के मिश्रण की मात्रा को वर्ष 2017 तक 20 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा। पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने का काम वर्ष 2006 में शुरू किया गया था जो 2009 तक जारी रहा था। इसके बाद एथेनॉल मिलने में हो रही दिक्कतों के चलते इस पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि इस साल नवंबर से फिर से एथेनॉल मिश्रण का काम शुरू किया गया है। सरकार का उद्देश्य जैट्रोफा का उत्पादन बढ़ाना है ताकि बायोडीजल मिश्रण के काम में तेजी आए। इसी को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन ऑयल, रुचि समेत अनेक कंपनियों ने जैटरोफा का पौधा लगाने के लिए बड़ी मात्रा में जमीन का अधिग्रहण किया था। रुचि बायोफ्यूल के निदेशक अखिलेश सर्राफ कहते हैं, 'बायोडीजल के मूल्य को लेकर सरकार अब तक कोई प्रभावकारी नीति बनाने में नाकाम रही है। हम इसे 26.50 रुपये के भाव पर बेचने के लिए इसका उत्पादन नहीं कर सकते। जबकि इसके लिए कच्चे माल जैसे पाम एसिड ऑयल आदि की कीमतें तेजी से बढ़ रही है।' कर्नाटक में कंपनी की लगभग 10,000 टन बायोडीजल तैयार करने की क्षमता है। (BS Hindi)

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