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24 नवंबर 2010

स्टॉक कम होने से जीरे में तेजी की संभावना

निर्यात मांग कमजोर होने के बावजूद उत्पादक राज्यों में जीरे का बकाया स्टॉक कम होने से भविष्य में तेजी के ही आसार हैं। चालू महीने में वायदा बाजार में जीरे की कीमतों में करीब 9 फीसदी और हाजिर बाजार में 8.3 फीसदी की तेजी आई है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के दौरान जीरा निर्यात में 32 फीसदी की कमी रही है। लेकिन उत्पादक मंडियों में जीरे का बकाया स्टॉक 9 से 10 लाख बोरी (एक बोरी-55 किलो) का ही बचा हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4 से 5 लाख बोरी कम है। प्रतिकूल मौसम के कारण बुवाई भी करीब एक महीने की देरी से हुई है। ऐसे में ऊंचे भाव पर मुनाफावसूली से जीरे की कीमतों में आंशिक गिरावट तो आ सकती है लेकिन भविष्य तेजी का ही है। वायदा में मुनाफावसूली नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर ऊंचे भावों में निवशकों की मुनाफावसूली से जीरे की कीमतों में शुक्रवार को हल्की नरमी देखी गई। शुक्रवार को दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में जीरे का भाव घटकर 14,412 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि 18 नवंबर को भाव 14,704 रुपये प्रति क्विंटल था। चालू महीने में वायदा बाजार में जीरे की कीमतों में करीब 9 फीसदी की तेजी आई है। पहली नवंबर को दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में जीरे का भाव 13,129 रुपये प्रति क्विंटल था। दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में 12,483 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि भाव तेज होने से निवेशकों की मुनाफावसूली से आंशिक गिरावट आई है लेकिन नीचे भावों में फिर से खरीद निकलने की संभावना है। इसीलिए आगामी दिनों में कीमतें मजबूत ही बनी रहने की संभावना है। जीरे का स्टॉक कम हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर विरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक मंडियों में जीरे का 9-10 लाख बोरी का स्टॉक ही बचा हुआ है जो कि पिछले साल की समान अवधि के 13-15 लाख बोरी से कम है। दैनिक आवक 7-8 हजार बोरी की हो रही है जबकि दैनिक व्यापार 8-9 हजार बोरी का हो रहा है। आमतौर पर गुजरात में जीरे की बुवाई दिपावली पर शुरू हो जाती है लेकिन मौसम गर्म होने से इस बार बुवाई करीब एक माह की देरी से चल रही है। ऐसे में नई फसल की आवक में भी देरी होने की आशंका है। निर्यात घटा भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान जीरा निर्यात में 32 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान 17,750 टन जीरे का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 26,200 टन जीरे का निर्यात हुआ था। मुंबई स्थित मैसर्स जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एस शाह ने बताया कि सीरिया और टर्की की फसल आने से पिछले दो महीने से भारत से निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत, सीरिया और चीन के जीरे का भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो है जोकि पिछले एक महीने से स्थिर बना हुआ है। हालांकि ये भाव पिछले साल की समान अवधि के 2.93 डॉलर प्रति किलो से ज्यादा है। सीरिया के पास स्टॉक होने से अभी भारत से निर्यात मांग कमजोर ही रहने की संभावना है। चालू सीजन में टर्की में जीरे का उत्पादन 15 से 20 हजार टन होने की संभावना है जबकि सीरिया में उत्पादन 30-35 हजार टन होने का अनुमान है। घरेलू बाजार में दाम बढ़े जीरा के थोक कारोबारी रजनीकांत बी पोपट ने बताया कि घरेलू बाजार में स्टॉक कम है जबकि मांग ज्यादा निकल रही है। इसीलिए चालू महीने में जीरे की कीमतों में करीब 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। पहली नवंबर को ऊंझा मंडी में जीरे का भाव 12,000 से 12,100 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि शुक्रवार को भाव 13,000 से 13,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। (Business Bhaskar....R S Rana)

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