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23 नवंबर 2010

असमय बारिश से धुली मिठास

मुंबई November 22, 2010
चीनी निर्माताओं को आशंका है कि चीनी उत्पादन के लिहाज से यह साल भी बुरा साल साबित हो सकता है। गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में अनियमित बारिश से गन्ना फसल को नुकसान पहुंचा है इसके अलावा अन्य कारणों से भी चीनी मिलों तक पर्याप्त गन्ना की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इससे चीनी उत्पादन पर अप्रत्याशित असर पड़ सकता है। चालू सत्र के दौरान देश के दो महत्वपूर्ण चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में पहले से ही गन्ना मूल्य निर्धारण को लेकर उलझन बना हुआ है। ऊपर से राज्य में हो रही असमय बारिश ने चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। पिछले साल चीनी उत्पादन में भारी कमी के चलते इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था इससे चीनी उत्पादकों के मुनाफे पर काफी दबाव रहा था। इसके अलावा घरेलू स्तर पर चीनी की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने अतिरिक्त कोटा भी जारी कर दिया था। चीनी उत्पादकों ने पहले पहले उम्मीद जताई थी कि इस साल गन्ना की कम कीमत और चीनी के ऊंचे भाव के चलते उनकी लाभदायता बढ़ेगी। उद्योग के आकलन के मुताबिक अक्टूबर में आने वाली गन्ने की पहली फसल में करीब 0.5 से 1 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। गन्ने की पहली फसल अक्टूबर में कटाई के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है और इसी सत्र के दौरान सबसे ज्यादा गन्ना फसल आती है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिल द्वारिकेश शुगर के निदेशक बी जे माहेश्वरी कहते हैं, 'फसल कटाई के समय बारिश के चलते गन्ना उत्पादन असर पड़ा है और इसका उत्पादन लागत खर्च बढऩे की आशंका है। जो अंतिम रूप से चीनी मिलों पर असर डालेगा।' कुछ इसी तरह की राय नैशननल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव्स शुगर फैक्र्टीज के प्रबंध निदेशक विनय कुमार की भी है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में अक्टूबर माह में आने वाली गन्ने की पहली फसल में गिरावट आई है। इस दौरान महाराष्ट्र में गन्ना की आवक पर बुरा प्रभाव पड़ा है। महाराष्ट्र में 131 चीनी मिलें चालू सत्र के दौरान अब तक केवल 4.4 लाख टन चीनी उत्पादन किया है जबकि इसी अवधि में पिछले साल 5.7 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया था। इससे साफ है कि पिछले साल की तुलना में यहां चीनी उत्पादन में 1 फीसदी से 8 फीसदी तक गिरावट आई है। महाराष्ट्र के चीनी मिल संगठनों ने भी आशंका व्यक्त की है कि उत्पादन में गिरावट आ सकती है। महाराष्ट्र के सहकारी चीनी मिल परिसंघ, जिसके अंतर्गत 170 चीनी मिलें आती है, ने पहले चालू सत्र के अंत तक चीन उत्पादन 95 लाख टन रहने का अनुमान था लेकिन अब उत्पादन घटने की आशंका है। (BS Hindi)

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