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23 नवंबर 2010

खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाएगी इमामी

नई दिल्ली November 22, 2010
खाद्य तेल के कारोबार में तीन बड़ी कंपनियों में से एक बनने की खातिर कोलकाता का इमामी समूह उत्तर भारत के राज्यों में अधिग्रहण करने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही विस्तार योजना पर 700 करोड़ रुपये खर्च करने की कंपनी की योजना है।इमामी समूह के निदेशक आदित्य वी. अग्रवाल ने कहा कि उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में से एक में हम अधिग्रहण करना चाहते हैं और राजस्थान हमारी प्राथमिकता होगी। इस अधिग्रहण और जारी विस्तार योजना से हमें देश के अग्रणी खाद्य तेल उत्पादक बनने में मदद मिलेगी। फिलहाल अदाणी, रुचि सोया और के. एस. ऑयल तीन बड़ी कंपनियां हैं।कंपनी फिलहाल अपने हल्दिया संयंत्र में रोजाना 1600 टन खाद्य तेल का उत्पादन करती है। 250 करोड़ रुपये के निवेश से कंपनी इस संयंत्र का विस्तार कर रही है और इस विस्तार के बाद मौजूदा क्षमता 2800 टन रोजाना हो जाएगा। कंपनी ने कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा में हेल्दी व टेस्टी ब्रांड के नाम से सरसों, सोया, सनफ्लावर आदि तेल पेश किए हैं। ये उत्पाद आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी पेश किए जाएंगे।आंध्र प्रदेश के कृष्णापट्टनम में कंपनी 200 करोड़ रुपये की लागत से संयंत्र स्थापित करेगी। इस संयंत्र की क्षमता 1200 टन रोजाना की होगी। इसके अलावा कंपनी गुजरात में बंदरगाह आधारित इकाई लगाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। अग्रवाल ने कहा - इस इकाई की क्षमता 1000 से 1500 टन रोजाना की होगी और इसके लिए 250 करोड़ रुपये के निवेश की दरकार होगी। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में इस पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।भारत में प्रति व्यक्ति सालाना खपत 12.7 किलोग्राम की है जो कि वैश्विक औसत 20 किलोग्राम से काफी कम है। हाल में राबो इंडिया की रिपोर्ट में भारतीय खाद्य तेल उद्योग के लिए उपलब्ध विकास के मौके की बात कही गई थी।शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में कुल खपत का 50 फीसदी बिना पैकिंग वाले तेल का होता है। हालांकि आय बढऩे के साथ भारत में खुदरा क्षेत्र के विकास हुआ है और इसने खास तौर से शहरी भारत में ब्रांडेड तेल बेचने का मौका उपलब्ध कराया है। ब्रांडेड तेल की बिक्री सालाना 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है जबकि बाजार में सनफ्लावर और सोया तेल का अग्रणी स्थान है। भारतीय खाद्य तेल उद्योग 150 लाख टन का है और साल 2015 तक इसके 200 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है। (BS Hindi)

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