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27 अक्तूबर 2010

मंत्रालय देगा एथेनॉल भाव पर राय

नई दिल्ली October 25, 2010
मंत्रिसमूह (जीओएम) स्तर पर रसायन मंत्रालय एथेनॉल के मसले पर अपनी राय नहीं मनवा सका, लेकिन मंत्रालय ने सौमित्र चौधरी समिति में जगह हासिल कर ली है। यह समिति एथेनॉल की कीमतों के बारे में फार्मूला तैयार कर रही है। योजना आयोग के सदस्य की अध्यक्षता में बनी समिति ने हाल के दिनों में कुछ बैठकें की हैं। इसमें चीनी उद्योग के प्रतिनिधि, खाद्य मंत्रालय, तेल कंपनियां और पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल हुए। रसायन मंत्रालय इसका हाल का विस्तार है। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'सौमित्र चौधरी समिति में रसायन मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल होगा। जब समिति की अगली बैठक होगी तो रसायन उद्योग भी मंत्रालय के माध्यम से इसमें शामिल होगा। प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली मंत्रिसमूह की बैठक में एथेनॉल मिलाने की योजना की स्वीकृति मिली थी, जिसका रसायन उद्योग ने विरोध किया था। जहां रसायन उद्योग इसे अपने विचार रखने की संभावना के रूप में देख रहा है, वहीं एथेनॉल की कीमतें तय किए जाने का फॉर्मूला तैयार किए जाने के ठीक पहले रसायन उद्योग को इस समिति में शामिल किए जाने से चीनी उद्योग आश्चर्यचकित है। चीनी उद्योग का मानना है कि एथेनॉल की कीमतें तय किए जाने में रसायन उद्योग की भूमिका नहीं है। जुबिलेंट आर्गेनोसिस और इंडिया ग्लाइकॉल जैसे प्रमुख रसायन उद्योग शीरे के प्राथमिक उपभोक्ता हैं। इसके साथ ही शराब और एथेनॉल उद्योग भी शीरे का इस्तेमाल करते हैं। रसायन उद्योग इस बात का विरोध कर रहा है कि मिश्रण को अनिवार्य बनाया जाए और इसकी कीमतें 27 रुपये प्रति लीटर तय कर दी जाएं। केंद्रीय कैबिनेट ने पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाए जाने को अपनी अनुमति दे दी है। इस साल अप्रैल में हुई बैठक में मंत्रिसमूह ने एथेनॉल की कीमतें 27 रुपये प्रति लीटर तय की थी। बहरहाल, रसायन मंत्री एमके अजगिरी के कुछ सवाल उठाए जाने पर जुलाई में एक बार फिर मंत्रिसमूह की बैठक हुई। मंत्रिसमूह ने एक बार फिर कहा कि 27 रुपये प्रति लीटर के भाव अस्थायी रूप से तय किए जाएं, बाद में कीमतों का अंतिम फैसला सौमित्र चटर्जी की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। यह इसके पहले की 21.50 रुपये प्रति लीटर कीमतों के विरुद्ध था। चीनी उद्योग ने एथेनॉल खरीद के लिए रुचि पत्र भी जारी कर दिया था, जिससे इस कीमत पर पेट्रोल में एथेनॉल की मिलावट कभी भी शुरू हो जाए। एथेनॉल को हरित ईंधन के रूप में जाना जाता है। इसकी पेट्रोल में मिलावट करने से भारत की तेल आयात पर निर्भरता भी कम होगी। कुछ सार्वजनिक कंपनियां खुद भी एथेनॉल का उत्पादन करने को सोच रही हैं। मसलन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन ने एथेनॉल उत्पादन के लिए 2008 में बिहार में बीमार पड़ी दो मिलें खरीदी थीं। ये मिलें दिसंबर से एथेनॉल का उत्पादन शुरू कर देंगी। (BS Hindi)

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