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04 अक्तूबर 2010

नवंबर में घट सकते हैं कपास के दाम

आवक का दबाव बनने पर नवंबर महीने में कॉटन की कीमतों में गिरावट की संभावना है। उद्योग सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में कॉटन की पैदावार 11.4 फीसदी बढऩे का अनुमान है। साथ ही सरकार ने कॉटन निर्यात की मात्रा तय कर दी है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है इसीलिए मध्य अक्टूबर के बाद आवक बढऩी शुरू हो जाएगी तथा नवंबर में आवक का दबाव बन जाएगा।नॉर्दर्न इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि चालू सीजन में कॉटन की पैदावार बढ़कर 340 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) होने का अनुमान है। जबकि सरकार ने निर्यात के लिए 55 लाख गांठ क कोटा तय किया है। ऐसे में आवक का दबाव बनने पर नवंबर महीने में कॉटन की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इस समय उत्पादक मंडियों में 25 से 27 हजार गांठ की आवक हो रही है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में मौसम साफ बना हुआ है इसीलिए चालू महीने के मध्य तक आवक बढऩे लगेगी।मुक्सतर कॉटन प्रा. लिमिटेड के डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि भारत के साथ ही विश्व में कॉटन का बकाया स्टॉक कम है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में सितंबर महीने में हुई बारिश से आवक भी करीब पंद्रह-बीस दिन लेट हो गई है। पाकिस्तान और चीन में बाढ़ से कॉटन की फसल को नुकसान हुआ है। इसीलिए भारत से निर्यात सौदे ज्यादा हो रहे हैं। पिछले सीजन में देश से 83 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ है।अहमदाबाद के कॉटन निर्यातक सुरेश बंसल ने बताया कि अभी तक निर्यातकों ने करीब 10 से 11 लाख गांठ कपास के अगाऊ सौदे किए हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन की मांग से कॉटन की कीमतें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेज बनी हुई है। चालू महीने से निर्यातक निर्यात सौदों का रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे जबकि शिपमेंट पहली नवंबर से शुरू होगी। उद्योग सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में देश में कॉटन की पैदावार पिछले साल के 305 लाख गांठ से बढ़कर 340 लाख गांठ होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार उत्पादन 335 लाख गांठ होने का अनुमान है। पंजाब की मानसा मंडी के कॉटन कारोबारी संजीव गर्ग ने बताया कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में मौसम साफ है इसीलिए आगामी दिनों में आवक बढ़ जाएगी। इस समय निर्यातकों के साथ ही घरेलू मिलों की मांग अच्छी बनी हुई है जिससे कीमतों में तेजी का रुख ही बना हुआ है। नवंबर तक घरेलू मिलों की मांग भी कम हो जाएगी, साथ ही आवकों का दबाव बन जाएगा, इसीलिए मौजूदा कीमतों में गिरावट की संभावना है। लेकिन कपास के मूल्य में कितनी कमी आएगी, इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। वैसे कारोबारियों का यह भी मानना है कि मूल्य गिरावट सीमित ही रहेगी क्योंकि दूसरे देशों में माल की कमी के अलावा घरेलू मंडियों और विश्व बाजार में अभी तेजी का ही दौर दिखाई दे रहा है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को 38,000 से 38,100 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) हो गए। उधर न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध के भाव भी बढ़कर 97.92 प्रति पाउंड हो गए हैं जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 46.68 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में विदेश में इसका भाव 61.34 प्रति पाउंड था। (Buisness Bhaskar......aar as raana)

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