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22 अक्तूबर 2010

चीनी उत्पादन में होगी 35 फीसदी वृद्घि

नई दिल्ली October 21, 2010
विश्व के दूसरे बड़े चीनी उत्पादक देश भारत में चीनी उत्पादन में अक्टूबर से शुरू हुए चीनी वर्ष के दौरान 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। इस साल गन्ने के रकबे में भी बढ़ोतरी हुई है, साथ ही उत्पादकता भी बेहतर रहने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गन्ने का उत्पादन 3240 लाख टन हो सकता है, जो पिछले साल के उत्पादन से 17 प्रतिशत ज्यादा होगा। राज्य गन्ना आयुक्तों की बैठक में यह अनुमान बढ़ाकर 3450 लाख टन कर दिया गया है। उद्योग जगत का अनुमान है कि इस साल गन्ना उत्पादन 3530 लाख टन रहेगा। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के एक अधिकारी के मुताबिक देश में 250 लाख टन से ज्यादा चीनी उत्पादन हो सकता है, जैसा कि 2007-08 में 263 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उद्योग से जुड़े दर्जन भर से ज्यादा हिस्सेदारों- उत्पादकों, एसोसिएशनों, कारोबारियों, निर्यातकों आदि के बीच कराए गए बिजनेस स्टैंडर्ड के सर्वे के मुताबिक चीनी उत्पादन 250-260 लाख टन होने का अनुमान है। नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक विनय कुमार ने कहा कि उच्च उत्पादन का अनुमान इसलिए लगाया जा रहा है कि फसलों के रकबे में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही अच्छी बारिश की वजह से उत्पादकता भी बढऩे के अनुमान हैं। इस साल की शुरुआत में चीनी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। साथ ही मिलों ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर दाम दिए थे। उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि इस साल रिकवरी दर भी बेहतर रहेगी, क्योंकि पर्याप्त बारिश हुई है। उत्तर प्रदेश में देर से पेराई का काम शुरू हुआ है, जिसकी वजह से राज्य में चीनी की रिकवरी बेहतर होने की उम्मीद है।
गुड़ की खपत कमचीनी उत्पादन बढऩे में एक और अहम बात है कि इस साल उम्मीद की जा रही है कि गुड़ बनाने में गन्ने की खपत कम रहेगी। मुजफ्फरनगर गुड़ ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गुड़ निर्माण इकाइयों में गन्ने की खपत 30-35 प्रतिशत तक कम हो सकती है। उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी देश के कुल गुड़ उत्पादन में 55 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, 'गुड़ कारोबारियों ने पिछले साल कारोबार में अपना हाथ जला चुके हैं, इसलिए इस साल गतिविधियां धीमी रहने की उम्मीद है। अधिक उत्पादन से भारत को अंतरराष्ट्रीय चीनी कारोबार में प्रवेश का मौका मिलेगा। ऐसे समय में यह मौका मिल रहा है, जब चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें ज्यादा हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी की वजह ब्राजील में फसल कमजोर होना है, जो दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। अगले साल के लिए वैश्विक बाजार में 30 लाख टन चीनी का अग्रिम स्टॉक रहने का अनुमान घट सकता है, जैसी कि पहले उम्मीद थी। ब्राजील से होने वाले चीनी निर्यात को लेकर अनिश्चितता और ज्यादातर वैश्विक बाजारों में आपूर्ति कम होने (पाकिस्तान व चीन में बाढ़ और रूस में सूखा पडऩे से) की वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में 2011 के मध्य तक तेजी बनी रहेगी। शुरुआती स्टॉक 50 लाख टन रहने के साथ अगले सीजन के लिए चीनी की उपलब्धता 305 लाख टन रहेगी।
हो सकता है निर्यात चीनी की घरेलू खपत 220-230 लाख टन है और इस तरह से देश में 35 लाख टन अतिरिक्त चीनी रहने का अनुमान है। आईएसएमए और कोआपरेटिव फेडरेशन को उम्मीद है कि देश से चालू सत्र में 25-30 लाख टन चीनी का निर्यात हो सकता है, इसमें चीनी मिलों की फिर से निर्यात किए जाने की बाध्यता वाली चीनी भी शामिल है। वैश्विक मांग तेज होने से उद्योग पर दोहरा प्रभाव पड़ेगा। जानकारों का मानना है कि पहला प्रभाव होगा कि घरेलू बाजार के बजाय मिलों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमाई बढ़ाने का मौका मिलेगा और दूसरे- निर्यात होने से घरेलू बाजार में भी चीनी की कीमतों में गिरावट पर लगाम लगेगी। जनवरी महीने में मिलों को 4000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव चीनी के दाम मिले थे। उम्मीद की जा रही है कि अब चीनी की कीमतेंं 2600-2800 रुपये प्रति क्विंटल पर बनी रहेंगी। (BS Hindi)

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