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22 सितंबर 2010

मुजफ्फरनगर में बाढ़, खाने के लाले प़डे

मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में गंगा और सलोनी नदियों ने खादर इलाके के कई गांवों में बाढ़ ला दी है। हालात इतने बिग़ड चुके हैं कि लोगों को खाने के लाले प़ड गए हैं। खेती चौपट हो गई है और भारी संख्या में लोग गांवों से पलायन कर रहे हैं लेकिन प्रशासन का कोई अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है। यहां से गुजरने वालीं गंगा और सलोनी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
नदियों के आस-पास के कई गांव पानी में डूब चुके हैं। इन गांवों से बाहर का जीवन कट गया है। ग्रामीण किसी तरह से पलायन कर रहे हैं। ग्रामीणों को खाने के भी लाले हैं। खाना पकाने के लिए ईंधन तक नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सुध लेने के लिए अभी तक प्रशासन से भी कोई नहीं आया है। वहीं, गांव मोल्हुवाला के जंगल में मकान बनाकर रहने वाला एक परिवार चार दिनों से पानी कम होने का इंतजार कर रहा है। ग्रामीण कर्ण सिंह का कहना है कि उत्तराखंड से गंगा नहर में छो़डे गए पानी और भारी बारिश से शुक्रताल और खादर के कई गांवों में बाढ़ आ गई है। ग्रामीण सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। बाढ़ से हजारों बीघा फसल नष्ट हो चुकी है। पशुओं के लिए चारा नहीं है। उत्तराखंड से आ रहे पानी ने तबाही ला दी है। गंगा और सलोनी नदियों के आस-पास कई किलोमीटर तक का जंगल जलमग्न हो गया है। गंगा से सलोनी नदी में पानी का आना बरकरार है। जीवन की बुनियादी जरूरतें पूरी न होने पर ग्रामीण अब गांव से पलायन करने लगे हैं। कुछ ग्रामीण ट्यूब की मदद से बाढ़ के पानी से निकलने की कोशिश करते दिखाई दिए, तो कुछ लोग भैंसा बुग्गी से परिवार को सुरक्षित स्थानों की ओर जाते दिखे। इतना ही नहीं गंगा और सलोनी नदी के बीच हजारों बीघा धान, गन्ने व चारे की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। तीर्थ नगरी शुक्रताल से कुछ दूरी पर बसे इन्चावाला, जोगेवाला, सतपाल का ठिया, सरदार का फार्म, और नया गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। (khas khabar)

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