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16 अगस्त 2010

एग्रीगेटर की भूमिका में सहकारी संस्थाएं

मुंबई August 15, 2010
किसानों की सहकारी संस्थाओं ने जिंसों के हाजिर बाजारों में कृषि उत्पादों के कारोबार के मामले में एग्रीगेटर या समूहक की तरह काम करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसानों को कमोडिटी डेरिवेटिव बाजारों में सीधे प्रवेश का मार्ग प्रशस्त होगा, जो सरकार और कमोडिटी एक्सचेंज के लिए अब तक वास्तविक चुनौती साबित हुई है।हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन महासंघ (हेफेड) ने हाल ही में नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत 'ऑनलाइन स्पॉट ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म' के माध्यम से 33,000 टन बाजरे की बिक्री की जाएगी। एनएसईएल ने खुली बोली के माध्यम से इस बाजरे के 15 फीसदी हिस्से की बिक्री कर चुकी है। एक्सचेंज ने उम्मीद जताई है कि बचे हुए बाजरे की बिक्री भी जल्दी ही हो जाएगी। जिस बाजरे की बिक्री की जा रही है उसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से हाफेड ने खरीदा था। हेफेड हरियाणा सरकार की पहल है। लेकिन इस बाजरे की गुणवत्ता एफसीआई के मानदंड के मुताबिक खराब है, इसलिए निगम ने बाद में इसे उठाने से मना कर दिया था। यही वजह रही कि हेफेड ने खरीदारी लागत निकालने के लिए इसे ऑनलाइन स्पॉट एक्सचेंज के माध्यम से बेचने का तरीका अपनाया। गौरतलब है कि हेफेड से 15 लाख किसान जुड़े हुए हैं।एनएसईएल के प्रबंध निदेशक अंजनी सिन्हा ने कहा, 'हेफेड की इस कोशिश से उत्साहित होकर किसानों की अन्य सहकारी संस्थाएं भी किसानों को सीधे-सीधे ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक लाने के लिए कमोडिटी के हाजिर एवं वायदा बाजारों (एक्सचेंज) के साथ साझेदारी के लिए अगे आ सकती हैं।वर्ष 2003 में कमोडिटी का वायदा कारोबार दोबारा शुरू होने के बाद से यह एक चुनौती बनी हुई है। लेकिन ऐसा करने के लिए सहकारी संस्थाओं को कठोर निर्णय लेने होंगे, किसान आढ़तियों से मुक्त हो सकें। (BS Hindi)

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