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10 अगस्त 2010

चीनी उद्योग को सताने लगी है अधिकता की चिंता

मुंबई August 09, 2010
चीनी उद्योग को इस समय चीनी की अधिकता की चिंता सता रही है। शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि 2010-11 में भारत में चीनी का उत्पादन 250-280 लाख टन रहेगा। इसकी वजह यह है कि मॉनसून बेहतर है और गन्ने का उत्पादन बेहतर रहेगा। उद्योग जगत को चिंता सताने लगी है कि ऐसी स्थिति में चीनी की कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट आएगी। इससे न सिर्फ ब्याज का बोझ बढ़ेगा, बल्कि भंडार के लिए भी पर्याप्त जगह का संकट होगा। उद्योग जगत से जुड़े सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पेराई सत्र की शुरुआत में कुल 94 लाख टन चीनी का स्टॉक होगा। इसमें अग्रिम स्टॉक 35 लाख टन, 50 लाख टन विभिन्न देशों से आयातित कच्ची चीनी और 9 लाख टन रिफाइंड आयातित चीनी, जो मिलों ने पहले ही उत्पादन की है, शामिल है।यह स्टॉक पेराई सत्र की समाप्ति पर 110 लाख टन से ज्यादा हो सकता है। फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज एसोसिएशन के सूत्रों ने कहा कि उत्पादन में अनुमानित बढ़ोतरी के बाद मिलों को भंडारण के संकट से भी जूझना पड़ेगा। चीनी की बोरियां या तो खुले आकाश में रखनी होंगी या किराए पर गोदाम लेना होगा। कुल मिलाकर मिलों का भंडारण खर्च बढ़ेगा। इन सबसे ज्यादा संकट यह है कि मिलों को बिना बिकी हुई प्रति बोरी चीनी पर 200 रुपये के ब्याज का भी भार सहना होगा। इसका असर अंत में मिलों की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा। फेडरेशन के सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार को तत्काल कदम उठाते हुए चीनी के आयात पर 60 प्रतिशत शुल्क लगाना चाहिए और 50 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार करना चाहिए। वैश्विक मूल्यों का फायदा उठाने के लिए निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि सरकार को आयात व निर्यात के लिए दीर्घावधि नीति बनानी चाहिए, न कि अस्पष्ट नीतियां हों। महाराष्ट्र शुगर ब्रोकर ऐंड मर्चेंट एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष योगेश पांडे ने कहा कि इस समय निर्यात शुरू किए जाने का बेहतर समय है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो स्थिति खराब होगी। उद्योग जगत को उम्मीद है कि 270-280 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। इसमें आगे और भी बढ़ोतरी हो सकती है। अगर शुरुआती स्टॉक को इसमें शामिल किया जाए तो अगले चीनी सत्र में चीनी का बड़ा स्टॉक तैयार होने वाला है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चीनी के वायदा कारोबार से सभी प्रतिबंधों को हटा लेना चाहिए। साथ ही स्टॉक सीमा और लाइसेंस भी खत्म किए जाने की जरूरत है। (BS Hindi)

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