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10 जून 2010

पड़ोसी देशों को एक लाख गांठ कॉटन निर्यात की मंजूरी

सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश को निर्यात करने के लिए कपास निर्यातकों को लाइसेंस देने शुरू कर दिए हैं। पिछले तीन-चार दिनों में करीब एक दर्जन निर्यातकों को एक लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन के लिए निर्यात अधिकृत प्रमाण पत्र (ईएआरसी) जारी कर दिए गए। यह प्रमाणपत्र सिर्फ उन निर्यात सौदों के लिए जारी किए जा सकते हैं, जिनका पंजीयन रोक लगने से पहले हो गया था। उधर कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन ने कहा कि कॉटन निर्यात पर पूरी तरह रोक लगाए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन सरकार इस पर नियंत्रण जरूर रखेगी।सूत्रों के अनुसार 11।83 लाख गांठ कॉटन निर्यात से सौदे टैक्सटाइल कमिशनर के आफिस में पंजीकृत हो चुके हैं लेकिन उनका शिपमेंट नहीं हो पाया है। उन्हीं सौदों में से एक लाख गांठ के सौदों के निर्यात की मंजूरी दी गई है। इसमें सभी किस्मों की कॉटन पर 2500 रुपये प्रति टन के फ्लैट रट से निर्यात शुल्क लिया जाएगा।टैक्सटाइल कमिश्नर के सूत्रों के अनुसार पिछले अक्टूबर से अप्रैल के दौरान भारत से निर्यात के लिए 85.41 लाख गांठ के सौदे पंजीकृत हुए थे। जबकि इस दौरान केवल 73.58 लाख गांठ कपास की शिपमेंट हुई थी। ऐसे में 11.83 लाख गांठ के सौदों के विरुद्ध शिपमेंट नहीं हो पाई थी। उन्हीं सौदों के निर्यात की मंजूरी दी जा रही है।नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि सरकार द्वारा निर्यातकों को ईएआरसी जारी करके निर्यात की अनुमति दी जा रही है। इससे घरलू बाजार में कॉटन की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना बन गई है। मालूम हो कि मई में पहले से पंजीकृत सौदों के विरुद्ध निर्यात के लिए ईएआरसी अनिवार्य कर दिया गया था। इसके बाद कीमतों में करीब 1000-1100 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) की गिरावट आई थी। बुधवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन का दाम 28,900-29,200 रुपये प्रति कैंडी रहा। 26 मई को इसका भाव 29,900 से 30,300 रुपये प्रति कैंडी हो गया था। उधर न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में जुलाई वायदा अनुबंध की कीमतों में 1.10 फीसदी की तेजी आकर भाव 78.32 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ।कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष धीरन सेठ ने बताया कि चालू सीजन में देश में कपास का उत्पादन करीब 304 लाख गांठ होने की संभावना है। देश की सालाना खपत और निर्यात को मिलाकर नई फसल के समय करीब 53 लाख गांठ का स्टॉक बचने की संभावना है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 18 लाख गांठ कम है। उन्होंने बताया कि कपास के भाव चालू सीजन में ऊंचे रहे हैं तथा मानसून भी अच्छा रहने की संभावना ऐसे में बुवाई रकबा पिछले साल से ज्यादा होने की संभावना है।बात पते कीसरकार द्वारा कॉटन निर्यात की अनुमति दी जा रही है। इस वजह से घरलू बाजार में सुस्त पड़ी कॉटन की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना बन गई है। (बिसनेस भास्कर.....आर अस राणा)

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