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05 मई 2010

बिक्री कोटे में बदलाव से बढ़े चीनी के भाव

मुंबई May 05, 2010
सरकार की ओर से चीनी का बिक्री कोटा पाक्षिक से दोबारा मासिक किए जाने से चीनी के भाव देशभर में 150 रुपये क्विंटल तक बढ़ गए हैं।
मुंबई के निकट वाशी मंडी में सोमवार को वायदा बाजार में एम 30 की कीमत 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रही। मिल और नाका से आपूर्ति क्रमश: 2,850 रुपये और 2,950 रुपये प्रति क्विंटल रही। एस 30 के भाव 50 रुपये कम रहे।
नई दिल्ली में तैयार मीडियम ग्रेड चीनी के भाव 3125-3250 रुपये और सेकंड ग्रेड के भाव 3125-3240 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मिलों से आने वाली मीडियम और सेकेंड ग्रेड चीनी का कारोबार भी क्रमश: 2925-3125 रुपये और 2900-3100 रुपये प्रति क्विंटल पर हुआ।
मई से सरकार ने चीनी की बिक्री के लिए पाक्षिक कोटे के बजाए मासिक कोटा तय किया है। फरवरी और मार्च के दौरान सरकार ने चीनी की कीमतों पर काबू पाने के लिए साप्ताहिक बिक्री कोटा तय किया था जिसे अप्रैल में पाक्षिक कर दिया गया था।
साप्ताहिक और पाक्षिक कोटे पर चीनी की निकासी मिलों के लिए परेशानी का सबब बन रही थी। समय से चीनी की बिक्री न कर पाने की वजह से मिलों को नुकसान भी उठाना पड़ा था। मिलों की ओर से न बिक पाने वाली चीनी को लेवी चीनी में बदला गया जो 1,300-1,400 रुपये क्ंविटल तक बेची जाती है।
चीनी बिक्री कोटा में इस बदलाव ने चीनी उद्योग को वह राहत दी है जिसकी उद्योग को जरूरत थी। कीमतों में बदलाव का मूल्यांकन करने और बिक्री संबंधी फैसले लेने के लिए पंद्रह दिनों का वक्त काफी कम होता है। क्योंकि सरकार ने पिछले महीने चीनी की बिक्री के लिए पाक्षिक कोटा अनिवार्य कर दिया था, ऐसे में मिलों के पास तय कोटा बेचने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था।
इसका नतीजा यह हुआ कि चीनी की कीमतों में तेजी से गिरावट दर्ज हुई। चीनी कोटे को लेकर नए बदलाव से कारोबारियों को ऊंची कीमतों पर बिक्री का मौका मिलेगा। सिंभावली शुगर मिल्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक जी एस सी राव ने कहा, 'कोटा प्रणाली में बदलाव से अब कारोबारियों को भंडार रोकने के लिए अतिरिक्त 15 दिनों का वक्त लगेगा।'
राव का कहना है कि अगर सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा रकबे में अगली बुआई के लिए किसानों के खेत खाली हों, तो सरकार को उद्योग के अनुकूल नीतियां बनानी चाहिए ताकि कीमतों को 3200-3500 रुपये के बीच रखा जा सके। इसके साथ ही अगले सत्र में चीनी की अत्यधिक आपूर्ति को रोकने के लिए सफेद चीनी के आयात पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। (बीएस हिंदी)

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