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25 मई 2010

ऊंचे तापमान से कपास की बुवाई लेट

असामान्य रूप से काफी ऊंचा तापमान होने के कारण मध्य प्रदेश में कपास की बुवाई प्रभावित हो रही है। राज्य में कपास की शुरूआती बुवाई में कमी आई है। मानसून से पहले बोई जाने वाली कपास का एरिया पिछले साल के मुकाबले काफी कम है।राज्य के निमाण क्षेत्र में कपास की बुवाई अक्षय तृतीया के बाद ही शुरू हो जाती है। किंतु इस साल असामान्य रूप से काफी ऊंचे तापमान और बिजली की भारी कटौती के चलते सिंचाई न कर पाने के कारण किसानों ने अभी तक बुवाई शुरू नहीं की है। किसान तापमान घटने का इंतजार कर रहे है। तापमान घटने पर मिट्ट्ी की नमी ज्यादा समय तक बनी रहेगी। सेंधवा के किसान समर विजय सिंह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि तापमान काफी ज्यादा है। इसके अलावा बिजली भी नहीं मिल रही है। जिसके चलते खेतों में पानी पहुंचाने में काफी परशानी हो रही है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 7-8 घंटे ही बिजली सप्लाई हो रही है। इसको देखते हुए किसानों ने बुवाई को कुछ समय के लिए टाल दिया है। वे इंतजार कर रहे है कि ताममान में कुछ गिरावट आए। निमाण क्षेत्र में तापमान भ्त्त डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। अगले कुछ दिनों में इसमें और बढ़ोतरी की संभावना व्यक्त की जा रही है। दूसरी ओर बिजली की कमी के चलते किसान खेतों में पर्याप्त पानी नहीं पहुंचा पा रहे है। डीजल पंपों से जो लोग पानी दे सकते है, उन्हें ऊंचे तामपान के कारण मिट्टी में बुवाई के योग्य नमी बनाये रखने में परशानी आ रही है। इसको देखते हुए किसानों ने अभी बुवाई शुरू नहीं की है। मध्य प्रदेश के निमाण क्षेत्र में ही कपास की पैदावार होती है। यहां के खंडवा, खरगौन, बेतिया और सेंधवा मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं। इन क्षेत्र के 9म् फीसदी से ज्यादा हिस्से में बीटी कॉटन के बीजों का ही उपयोग किया जाता है। पिछले साल किसानों को मिले कपास के बेहतर दामों को देखते हुए इस साल इसके बुवाई क्षेत्रफल में करीब ख्क् फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले साल मध्य प्रदेश में म्.8त्त लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हुई थी। जिसके बाद प्रदेश में कपास का उत्पादन ख्9-फ्क् लाख गांठ तक पहुंचने का अनुमान है। (बिज़नस भास्कर)

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