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10 अप्रैल 2010

डॉलर की गिरावट से काली मिर्च हुई सस्ती

डॉलर में आई गिरावट ने काली मिर्च निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होकर 44।28 के स्तर पर आ गया है। डॉलर कमजोर होने से निर्यातकों को पड़ते नहीं लग रहे हैं इसीलिए निर्यातकों की खरीद पहले की तुलना में कम कर दी है। जिससे पिछले तीन दिनों में इसके भाव में करीब 800 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आकर एमजी-वन क्वालिटी के भाव 15,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मैसर्स केदरानाथ संस के डायरक्टर अजय अग्रवाल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होने से भारतीय निर्यातकों को पड़ते नहीं लग रहे हैं। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय काली मिर्च का भाव 3750 डॉलर और वियतनाम की काली मिर्च का 3600 डॉलर प्रति टन चल रहा है। वियतनाम में काली मिर्च की नई फसल आने से भी भारत से निर्यात मांग में कमी आई है। हालांकि ताजा अनुमान के मुताबिक वियतनाम में काली मिर्च की पैदावार 80 हजार टन होने की संभावना है। जबकि पहले अनुमान एक लाख टन उत्पादन होने का लगाया गया था। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया और ब्राजील में उत्पादन कैसा रहता है, इस पर भी काली मिर्च की तेजी-मंदी निर्भर करगी। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार जनवरी महीने में भारत से काली मिर्च का निर्यात घटकर 1,500 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,100 टन का निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों (अप्रैल से जनवरी) के दौरान कुल निर्यात में 24.5 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान कुल निर्यात घटकर 16,250 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 21,550 टन का निर्यात हुआ था। अप्रैल से फरवरी के दौरान भारत में काली मिर्च का आयात 65 फीसदी बढ़कर 16,500 टन का हो चुका है।काली मिर्च के व्यापारी महेंद्र पारिख ने बताया कि निर्यातकों के साथ ही घरलू मांग घटने से नीलामी केंद्रों पर एम-जी वन काली मिर्च की कीमतों में 800 रुपये की गिरावट आकर भाव 15,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अनर्गाबल्ड क्वाल्टिी की काली मिर्च के दाम भी घटकर इस दौरान 14,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। चालू सीजन में घरलू पैदावार पिछले साल के 45,000 टन से घटकर 40,000 टन होने का अनुमान है। (बिज़नस भास्कर....आर as raana)

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