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20 अप्रैल 2010

शुल्क लगने से भी कॉटन निर्यात कम होना मुश्किल

सरकार ने 250 रुपये प्रति टन निर्यात शुल्क लगाकर कॉटन का निर्यात नियंत्रित करने की कोशिश की है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के मूल्य को देखते हुए सरकार की मंशा पूरे होने की संभावना नहीं है। विदेशी बाजार में कॉटन के दाम काफी ऊंचे होने के कारण निर्यात कम होने की गुंजाइश नहीं है। कीमतें तेज होने और विदेशी मांग बढ़ने से चालू फसल सीजन के पहले साढ़े छह महीने में ही भारत से कॉटन का निर्यात 71 फीसदी बढ़ गया है।पिछले साल अक्टूबर में शुरू नए सीजन में 15 अप्रैल तक 60।12 लाख गांठ कॉटन (प्रति गांठ 170 किलो) का निर्यात हो चुका है। पिछले साल पूर सीजन के दौरान कुल 35.14 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ था। सरकार ने घरलू बाजार में कॉटन की उपलब्धता बढ़ने के लिए आठ अप्रैल को निर्यात पर शुल्क लगा दिया था। लेकिन विश्व बाजार में कॉटन की मांग बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में निर्यात पर ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। मुक्तसर कॉटन प्रा. लि. के मैनेजिंग डायरक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि विदेशी बाजार में भाव बढ़ रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में ही विदेशी बाजार में कीमतें करीब 2.09 फीसदी बढ़ चुकी है। सरकार ने जो निर्यात शुल्क लगाया है, वह करीब तीन प्रतिशत पड़ रहा है। अगर विदेशी बाजार में एक फीसदी की और तेजी आ गई तो निर्यात शुल्क का असर बिल्कुल खत्म हो जाएगा। निर्यातकों के मुनाफे पर जरा भी असर नहीं पड़ेगा। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के जुलाई वायदा अनुबंध का भाव बढ़कर 16 अप्रैल को 82.65 सेंट प्रति पाउंड हो गया जबकि 9 अप्रैल को भाव 79.50 सेंट प्रति पाउंड था।टैक्सटाइल कमिश्नर के सूत्रों के अनुसार अक्टूबर से 15 अप्रैल के दौरान 60.12 लाख गांठ कॉटन की शिपमेंट हो चुकी है तथा इस दौरान 85.41 लाख गांठ के निर्यात सौदे पंजीकृत हो चुके हैं। पिछले साल पूर सीजन के दौरान कुल शिपमेंट मात्र 35.14 लाख गांठ की ही हुई थी। जबकि इस दौरान निर्यात सौदे 37.52 लाख गांठ के पंजीकृत हुए थे। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतों में आई तेजी से भारत से निर्यात मांग बढ़ी है। इस दौरान चीन और बांग्लादेश की मांग अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा आई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा होने के कारण निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने निर्यात पर जो शुल्क लगाया है, उसका असर अगले एक-डेढ़ महीने में होने वाले निर्यात सौदों को देखकर पता चलेगा। सरकार द्वारा शुल्क लगाए जाने के बावजूद पिछले एक सप्ताह में विदेशी बाजार के साथ ही घरलू बाजार में भी कॉटन की कीमतें बढ़ी हैं। सोमवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन का भाव बढ़कर 28,000 से 28,700 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) हो गया, जो दस अप्रैल को 27,800 से 28,400 रुपये प्रति कैंडी था। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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