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28 अप्रैल 2010

मानसून बदल देगा कमोडिटी के विदेश व्यापार की दिशा

देश में बेहतर मानसून चीनी और अनाज के विदेश व्यापार का रुख बदल देगा। अच्छे मानसून से जहां चीनी आयात कम हो सकता है, वहीं सरकार गेहूं और चावल (गैर बासमती) के आयात पर पाबंदी हटा सकती है। अच्छी बारिश होने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुधरगी तो सोने का आयात बढ़ने की पूरी संभावना है।जून से सितंबर के दौरान होने वाली बारिश से अर्थव्यवस्था की विकास दर तेज होने की उम्मीद है। भारत चीनी, गेहूं, चावल और खाद्य तेलों के सबसे बड़े उत्पादक और उपभोक्ता देशों में से एक है। सोने के आयात में भी भारत का पहला नंबर आता है। भारत से चीनी आयात में कोई कमी आती है तो न्यूयॉर्क रॉ शुगर फ्यूचर पर दबाव बन सकता है। पिछले शुक्रवार को रॉ शुगर के दाम 10 माह के निचले स्तर पर चले गए। मानसून बेहतर रहता है तो निश्चित ही भारत में चीनी का आयात कम होगा। इसी तरह भारत से गेहूं का निर्यात खुलने की संभावना से शिकागो गेहूं फ्यूचर गिर सकता है। इसके दाम सोमवार को सात सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गए।कोच्चि के जेआरजी वैल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च प्रमुख हरीश गेलीपेल्ली का कहना है कि निश्चित ही अच्छे मानसून सप्लाई की चिंता दूर होगा और खाद्य वस्तुओं की महंगाई कम होगी। देश में चीनी और सोयाबीन का बेहतर सुधरता है तो खाद्य तेल और चीनी का आयात कम होगा।हालांकि मानसून को लेकर अनिश्चितता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। पिछले साल भी शुरूआत में सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की गई थी लेकिन बाद में 1972 के बाद का सबसे भयंकर सूखा पड़ा। इसके कारण चावल और गन्ने का उत्पादन गिर गया। देश में चीनी का आयात बढ़कर 50 लाख टन तक पहुंच गया तो विश्व बाजार में इसके भाव तीन दशक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए। इसके विपरीत अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने अनुमान लगाया है कि अगले सीजन में भारत का चीनी उत्पादन 27 फीसदी बढ़कर 247 लाख टन तक पहुंच सकता है क्योंकि चालू सीजन में अच्छे दाम मिलने के कारण किसान गन्ने की खेती ज्यादा एरिया में करेंगे।उधर सूखे से पहले ही महंगाई से परशान सरकार ने गेहूं और चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा इन वस्तुओं का वायदा व्यापार भी निलंबित कर दिया गया था। पिछले साल सरकार ने आम चुनाव से पहले खाद्य वस्तुओं की सप्लाई सुधारने के मकसद से रोक लगाई थी। निर्यात रोक के कारण सूखे के दौर में गैर बासमती चावल की घरलू बाजार में सप्लाई सुधारने में मदद मिली। पिछले साल सरकार ने चावल आयात की भी कोशिश की। आयात के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए लेकिन काफी ऊंचे भाव पर बिड मिलने के कारण आयात का फैसला टाल दिया गया।कारोबारियों और विश्लेषकों का मानना है कि अच्छे मानसून से इस साल चावल का उत्पादन बढ़ सकता है। इससे सामान्य किस्म के चावल के निर्यात पर लगी रोक हटाई जा सकती है। अचानक गर्मी बढ़ने से पहले देश में गेहू का उत्पादन भी बढ़कर 820 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है। (बिज़नस भास्कर)

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