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28 अप्रैल 2010

म्यांमार की बिकवाली घटने से उड़द, अरहर और मूंग में तेजी

म्यांमार के निर्यातकों की बिकवाली घटने और घरेलू स्टॉकिस्टों की ख्ररीद के चलते दालों के दाम और बढ़ गए हैं। रबी सीजन की दालों की घरेलू सप्लाई समाप्ति पर होने से भी तेजी को बल मिल रहा है। चालू माह में आयातित दलहन की कीमतों में 50 से 75 डॉलर प्रति टन की तेजी आ चुकी है। इस दौरान घरेलू बाजार भी दालों के दाम 200 से 400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ चुके हैं। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अगर मानसून बेहतर रहता है तो दालों में उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। बारिश में कमी होने पर तेजी फिर बेलगाम हो सकती है। ग्लोबल दाल इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरक्टर चंद्रशेखर एस. नादर ने बताया कि म्यांमार के निर्यातकों की बिकवाली कम आने से आयातित दलहनों के दाम बढ़ रहे हैं। हालांकि घरेलू बाजार में दालों की मांग कमजोर है लेकिन स्टॉकिस्टों की सक्रियता से तेजी आई है। लेमन अरहर की कीमतों में चालू महीने में करीब 75 डॉलर की तेजी आकर भाव 1275 डॉलर प्रति टन हो गए। उड़द और मूंग पेड़ी सेवा की कीमतों में इस दौरान 50-50 डॉलर की तेजी आकर भाव क्रमश: 1200 और 1550 डॉलर प्रति टन हो गए। भारत में उड़द, अरहर और मूंग का उत्पादन मांग के मुकाबले कम होने का अनुमान है, इसीलिए म्यांमार के निर्यातक भाव बढ़ाकर बोल रहे हैं। बंदेवार दाल एंड बेसन मिल के डायरक्टर एस. बी. बंदेवार ने बताया कि घरेलू बाजार में मूंग की कीमतों में 400 रुपये की तेजी आकर भाव 5000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान अरहर की कीमतोंे में 200 रुपये की तेजी आकर भाव 4600 रुपये और मूंग की कीमतों में 150 रुपये की तेजी आकर भाव 6600-6800 रुपये प्रति `िंटल हो गए। दलहन के एक थोक कारोबारी ने बताया कि दिल्ली थोक बाजार में उड़द दाल की कीमतों में पिछले एक सप्ताह में ही करीब 200 रुपये की तेजी आकर भाव 5650-5700 रुपये और अरहर दाल की कीमतें 6500 रुपये से बढ़कर 6650 तथा मूंग धुली की कीमतें 8300 रुपये से बढ़कर 8450 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। आगे मांग निकलने से मौजूदा कीमतों में और भी 150-200 रुपये प्रति `िंटल की तेजी के आसार हैं। घरेलू बाजार में दालों की सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकारी कंपनियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी और नेफेड ने 5.84 लाख टन दलहन आयात के सौदे किए हैं तथा इसमें से 5.79 लाख टन दालों की खेप भारत पहुंच चुकी है। जिसमें से 5.61 लाख टन दालों की सप्लाई बाजार में हो चुकी है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2009-10 में देश में दलहन का 147.4 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2008-09 में 145.7 लाख टन उत्पादन रहा था। हालांकि देश में दालों की सालाना खपत करीब 170-180 लाख टन की होती है। इस तरह 23 से 33 लाख टन दालों की मांग आयात से ही पूरी करनी होगी।बात पते कीमानसून बेहतर रहता है तो दालों में उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। निर्यातक व घरेलू स्टॉकिस्टों की सक्रियता घट जाएगी। लेकिन बारिश में कमी होने पर तेजी फिर बेलगाम हो सकती है। (बिज़नस भास्कर...आर अस राणा)

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