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13 मार्च 2010

तिलहन की कुल पैदावार घटेगी

पिछले साल के फीके मानसून का असर तिलहन उत्पादन पर साफ दिखाई दे रहा है। पिछले अक्टूबर से शुरू सीजन 2009-10 में देश में तिलहन उत्पादन में पांच फीसदी कमी आने की आशंका है। हालांकि मौजूदा रबी सीजन में तिलहनों का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।पिछले साल मानसून हल्का रहने के कारण खरीफ सीजन की तिलहनों का उत्पादन काफी कम रहा था। सेंट्रल आर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंस्ट्रीज एंड ट्रेड (कोएट) द्वारा 31वें रबी तेल-तिलहन सम्मेलन में जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले अक्टूबर से शुरू वर्ष 2009-10 में देश में तिलहनों का उत्पादन घटकर 231।1 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2008-09 में देश में तिलहन उत्पादन 242.6 लाख टन का हुआ था। कोएट के अध्यक्ष एस. अग्रवाल ने बताया कि चालू रबी में तिलहनों का उत्पादन पिछले साल से बढ़ने का अनुमान है। नवंबर से फरवरी तक मौसम फसलों के अनुकूल रहा है जिससे प्रति हैक्टेयर पैदावार में बढ़ोतरी हुई है। रबी में तिलहनों का उत्पादन पिछले साल के 92.3 लाख टन से बढ़कर 94.6 लाख टन का होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि रबी तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों का उत्पादन बढ़कर 64.2 लाख टन (एक लाख टन तोरिया सहित) होने का अनुमान है। पिछले साल इसका उत्पादन 63.5 लाख टन रहा था। चालू सीजन के खरीफ सीजन (पिछले अक्टूबर में) तिलहन उत्पादन 136.5 लाख टन रहा था जो उससे पहले के खरीफ सीजन के 150.3 लाख टन से काफी कम था।मौजूदा रबी सीजन की मूंगफली का उत्पादन पिछले साल के 17 लाख टन से बढ़कर 18.3 लाख टन, अलसी का उत्पादन 1.3 लाख टन से बढ़कर 1.6 लाख टन, तिल्ली का उत्पादन 2.8 लाख टन से बढ़कर 3.3 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि रबी सनफ्लावर का उत्पादन पिछले साल के 7.5 लाख टन से घटकर 6.7 लाख टन ही होने का अनुमान है। कॉटन के उत्पादन का अनुमान भी पूर्व अनुमान 305 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) से घटकर 295 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया है। इससे बिनौले का भी उत्पादन गिर सकता है।इस अवसर पर दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि कुल तिलहन उत्पादन कम रहने के बावजूद खाद्य तेलों के दाम में तेजी की संभावना नहीं है क्योंकि सरसों का बकाया स्टॉक करीब आठ-दस लाख टन का बचा है। साथ ही देश में खाद्य तेलों का आयात ज्यादा होने से कुल उपलब्धता मांग के मुकाबले ज्यादा है। (बिज़नस भास्कर)

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