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18 मार्च 2010

सोयाबीन के उत्पादन से पाम तेल को फायदा

मुंबई March 17, 2010
दक्षिण अमेरिकी देशों में सोयाबीन फसल का बंपर उत्पादन होने से इस साल सोया तेल की ज्यादा आपूर्ति हो सकती है।
हालांकि पिछले साल सोयाबीन के उत्पादन में कमी आई थी। ऐसे में मुमकिन है कि पाम ऑयल के कारोबार में इस साल कुछ तब्दीली नजर आ जाए। गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री भी यह मानते हैं कि वर्ष 2010-11 के दौरान पाम ऑयल अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सोया ऑयल के मुकाबले प्रीमियम के साथ कारोबार कर सकता है।
अब तक पाम ऑयल का कारोबार सोया तेल के मुकाबले 32 फीसदी की छूट के साथ होता रहा है। हालांकि रुपये के लिहाज से यह छूट 56 फीसदी तक हो सकती है।
लंदन में नैशनल इंस्टीटयूट ऑफ ऑयलसीड प्रोडक्ट (एनआईओपी) की सालाना बैठक में मिस्त्री का कहना है, 'वर्ष 2010 में कच्चे पाम ऑयल और सोया तेल के बीच स्प्रेड बहुत सीमित रहेगा और संभावना है कि पॉम ऑयल प्रीमियम में चला जाए।'
ऐतिहासिक रूप से पाम ऑयल का कारोबार छूट के साथ होता रहा है क्योंकि दुनिया के दो बड़े उत्पादक देशों मसलन इंडोनेशिया और मलेशिया में सबसे ज्यादा उपलब्धता है। अनुमान है कि मलेशिया में कच्चे पाम ऑयल के उत्पादन में लगातार दूसरे साल भी कमी आएगी और यह 172 लाख टन हो जाएगा। इसकी वजह नया अलनीनो प्रभाव और पुर्नवृक्षारोपड़ कार्यक्रम है।
पाम ऑयल का इस्तेमाल जैव ईंधन के रूप में होता रहा है, उससे भी इसे मदद मिलेगी। पाम ऑयल की अत्यधिक उपलब्धता में मामूली कमी आएगी और अप्रैल 2010 से मार्च 2011 के बीच यह कमी केवल 8 लाख टन की होगी जो अप्रैल 2009 से मार्च 2010 की अवधि के दौरान यह 15 लाख टन था।
इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि अनुमानित वैश्विक सोया तेल की अतिरिक्त आपूर्ति अप्रैल 2009 से मार्च 2010 के बीच 15 लाख टन घाटे के अनुमान के मुकाबले अप्रैल 2010 से मार्च 2011 तक कम से कम 20 लाख टन रहेगी।
मलेशिया में कच्चे तेल के उत्पादन में तभी बढ़ोतरी होगी जब इसमें थोड़ा सुधार किया जाएगा। इस लिहाज से कई कोशिशंक भी की गई हैं और अगले कुछ सालों में सुधार भी नजर आएगा। हालांकि उत्पादन में किसी बड़ी तेजी के लिए कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ सकता है।
इसके अलावा अलनीनों की वजह से भी इंडोनेशिया में उत्पादन के भविष्य पर एक सवालिया निशान लग गया है और मौजूदा सीजन के दौरान कुल उत्पादन में 10 लाख टन की बढ़ोतरी का अनुमान है। उत्पादन में ज्यादातर बढ़ोतरी रकबे में विस्तार की वजह से हुआ जो अब खत्म हो रहा है। वर्ष 1997 के बाद की अवधि में रकबे में विस्तार हर साल करीब 500,000 हेक्टेयर होता है जो वर्ष 2008 के बाद आधा हो गया। (बीएस हिंदी)

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