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22 मार्च 2010

नई फसल से पहले मेंथा तेल में तेजी के आसार

मेंथा की नई फसल की आवक मई के आखिरी सप्ताह में शुरू होने की संभावना है। जबकि इस समय अमेरिका और यूरोप की मांग अच्छी बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल का स्टॉक कम होने से आवक पहले की तुलना में घट गई है। इसलिए मौजूदा कीमतों में आगामी दिनों में करीब पांच फीसदी की तेजी आने की संभावना है।अमेरिका और यूरोप के आयातक क्रिस्टल बोल्ड के आयात सौदे 15 से 15।50 डॉलर प्रति किलो (सीएंडएफ) के भाव पर कर रहे हैं। घरलू बाजार में मेंथा उत्पादों का बकाया स्टॉक मात्र 25-30 फीसदी ही बचा हुआ है। जबकि नई फसल की आवक मई के आखिरी सप्ताह में शुरू होगी तथा आवक का दबाव जून में बढ़ेगा। चूंकि ज्यादातर माल बड़े स्टॉकिस्टों के पास है इसीलिए उनकी बिकवाली भी कम आ रही है। जिससे मेंथा उत्पादों में तेजी का बल मिल रहा है। हालांकि चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान भारत से मेंथा उत्पादों का निर्यात 19 फीसद कम रहा है लेकिन चालू महीने में निर्यातकों की खरीद बढ़ी है। अप्रैल में भी निर्यातकों की मांग बराबर बनी रहने की संभावना है। गत वर्ष देश में मेंथा तेल का कुल उत्पादन 30 हजार टन रहा था। चालू सीजन में बुवाई पिछले साल के लगभग बराबर ही है तथा अभी तक मौसम भी फसल के अनुकूल ही रहा है। हालांकि अब उत्पादक मंडियों में पिछले सीजन के मेंथा तेल की आवक पहले की तुलना में कम हो गई है जिससे मौजूदा भावों में 25-30 रुपये प्रति किलो की तेजी आ सकती है। वर्तमान में उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल की दैनिक आवक घटकर 100-150 ड्रम (प्रति ड्रम 180 किलो) रह गई है। जबकि जनवरी-फरवरी महीनों में दैनिक आवक 200 से 250 ड्रमों की हो रही थी। मेंथा तेल के भाव उत्पादक मंडियों में 660 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। जबकि क्रिस्टल बोल्ड के दाम 740 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। हालांकि वायदा बाजार में निवेशकों की मुनाफावसूली आने से मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में पिछले एक सप्ताह में करीब सात रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है।13 मार्च को अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में मेंथा तेला का दाम 608 रुपये प्रति किलो था। जबकि शानिवार को इसका भाव घटकर 601 रुपये प्रति किलो रह गया। हाजिर में दाम बढ़ने से वायदा में भी निवेशकों की खरीद निकलने की संभावना है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर के दौरान मेंथा उत्पादों का निर्यात घटकर 12,875 टन ही रहा जबकि पिछले साल की समान अवधि में 15,950 टन का निर्यात हुआ था। मालूम हो कि मसाला बोर्ड ने वर्ष 2009-10 में निर्यात का लक्ष्य 22,000 टन का रखा है। देश में मेंथा के कुल उत्पादन में उत्तर प्रदेश का योगदान 70-80 फीसदी है। उत्तर प्रदेश की संभल, चंदौसी, रामपुर और बाराबंकी में मेंथा तेल का सबसे ज्यादा कारोबार होता है।- आर. एस. राणा rana@businessbhaskar.netबात पते कीचूंकि ज्यादातर माल बड़े स्टॉकिस्टों के पास है इसलिए उन्होंने बिकवाली घटा दी है। इससे मेंथा उत्पादों में तेजी का बल मिल रहा है। हालांकि मेंथा उत्पादों का निर्यात 19त्न कम रहा है। (बिज़नस भास्कर...आर अस राणा)

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