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19 मार्च 2010

मिल्क पाउडर व घी होगा 15फीसदी सस्ता

स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) और बटर ऑयल यानि देसी घी के सीमित आयात को डयूटी फ्री किए जाने से अब उपभोक्ता ये वस्तुएं अंतरराष्ट्रीय भाव पर मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। चूंकि ये मिल्क पाउडर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ज्यादा सस्ते नहीं है। ऐसे में उपभोक्ताओं को मिल्क पाउडर और देसी घी के मूल्य में ज्यादा से ज्यादा 12-15 फीसदी की राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार द्वारा स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) और बटर ऑयल के सीमित आयात को शुल्क मुक्त करने से आने वाले दिनोंे में मिल्क पाउडर की कीमतों में गिरावट आ सकती है। घी की कीमतों में भी कमी के आसार है। आयातित बटर ऑयल देसी घी ही होता है।गुरू एग्रो हर्बल इंडस्ट्रीज कॉरपोरशन के प्रबंध निदेशक मृदुल राजीव बत्रा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि आयात शुल्क हटाने के कारण आने वाले दिनोंे में मिल्क पाउडर की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इस समय बाजार में इसके दाम 145 रुपये प्रति किलो चल रहे है। लेकिन जानकारों के मुताबिक इसकी कीमतों में बहुत अधिक गिरावट होने वाली नहीं है। इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) के अध्यक्ष डॉ। एन. आर. भसीन के मुताबिक मिल्क पाउडर के अंतराराष्ट्रीय दाम अधिक होने की वजह से देश में इसके मूल्यों में मामूली गिरावट तो आ सकती है, लेकिन बहुत अधिक कमी आने के आसार नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एसएमपी के दाम 2800-3000 डॉलर प्रति टन है। इस भाव पर देश में मिल्क पाउडर आयात करने पर दाम करीब 125-130 रुपये प्रति किलो बैठते हैं, जबकि घरलू बाजार में एसएमपी की कीमत 140-145 रुपये प्रति किलो है। गर्मियां आने पर दूध की कमी होने की स्थिति में मिल्क पाउडर के भी दाम बढ़ सकते थे लेकिन शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी से मिल्क पाउडर और कुछ हद तक दूध के मूल्य पर भी दबाव रहेगा। बत्रा का कहना है कि बटर ऑयल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति मिलने से देशी घी के भी दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ही घटेंगे। इस समय बाजार में घी के दाम 3200-3300 रुपये प्रति 15 किलो चल रहे है। आने वाले दिनों में इसकी कीमतों में दस फीसदी तक गिरावट की संभावना है। गौरतलब है कि केंद्रीय एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) द्वारा हाल ही जारी अधिसूचना के अनुसार देश में 30,000 टन एसएमपी और 15,000 टन बटर ऑयल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई है। बटर ऑयल पर 30 फीसदी का सीमा शुल्क लगता था। यह आयात एनडीडीबी द्वारा खुद या सरकारी एजेंसियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी और नेफेड के जरिये ही किया जा सकेगा। कोई उपभोक्ता उद्योग एनडीडीबी में आवेदन कर आयात कर सकता है, लेकिन सौदा करने का जिम्मा सरकारी एंजेसियों का ही होगा। (बिज़नस भास्कर)

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