कुल पेज दृश्य

27 फ़रवरी 2010

कृषि पैदावार बढ़ाने व नुकसान रोकने पर जोर

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2010-11 के लिए आम बजट में कृषि क्षेत्र के समग्र विकास का लक्ष्य रखा है। इससे ग्रामीण क्षेत्र की आय बढ़ेगी और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। वित्त मंत्री ने इसके लिए चार स्तरीय कार्य योजना पर काम करने की मंशा जाहिर की।वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार की योजना कृषि उत्पादन बढ़ाने, उपजों की बर्बादी रोकने, किसानों को कर्ज में सहायता देने और फूड प्रोसेसिंग पर जोर दिया जाएगा। किसानों के लिए कर्जो की उपलब्धता बढ़ाने के लिए वर्ष 2010-11 के बजट में 375,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण जारी करने का लक्ष्य रखा है जबकि पिछले बजट के 325,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। पिछले साल के सूखे और बाढ़ को देखते हुए ऋण वापसी की अवधि को भी इस वर्ष जून तक छह माह के लिए बढ़ा दिया गया है। फसल कर्जो की समय पर अदायगी करने वाले किसानों पर अब सिर्फ पांच प्रतिशत सालाना ब्याज लगेगा। मुखर्जी ने कृषि उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में हरित क्रांति का विस्तार करने के लिए बजट में 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वर्षा सिंचित क्षेत्रों में 60,000 दलहन और तिलहन ग्राम बनाने के लिए भी 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के लिए 200 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। फसल कार्यो के लिए 13,805.82 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें 6,722 करोड़ रुपये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए हैं। इसके अलावा वर्षा पोषित क्षेत्र के विकास कार्यक्रम के लिए 10 करोड़ रुपये, पौध संरक्षण के लिए 58.78 करोड़ रुपये, खाद एवं उर्वरक के लिए 40 करोड़ रुपए, फसल बीमा के लिए 1,050 करोड़ रुपये तथा लघु सिंचाई के लिए 1000 करोड़ रुपये शामिल हैं। कृषि उपज की बर्बादी रोकने वेयरहाउसों को बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया गया है। भंडारण क्षमता में बढ़ोतरी करने के लिए भारतीय खाद्य निगम के जरिए निजी गोदाम किराए पर लेने की अवधि पांच वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है। बाजार योजना के लिए विदेशी वाणिज्यिक उधार लेने की सुविधा कोल्ड स्टोरज और कोल्ड रूम बनाने के लिए भी मिलेगी। ये सुविधाएं कृषि उत्पाद, समुद्री उत्पादों के लिए होंगी। आधारभूत संरचना के लिए फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र का विकास तेज करने की भी बात बजट में कही गई है। सरकार पहले ही दस मेगा फूड पार्क स्थापित कर रही है। पांच अन्य फूड पार्क स्थापित करने की योजना बनाई गई है।बजट में भंडारण सुविधाएं विकसित करने के लिए टैक्स छूट के प्रस्ताव किए गए हैं। खाद्यान्नों और चीनी के लिए मंडियों में भंडारण में यंत्रीकृत प्रबंध प्रणाली और पैलेट रैंकिंग प्रणाली स्थापित करने के लिए पांच प्रतिशत के रियायती आयात शुल्क के साथ परियोजना आयात का दर्जा और इससे संबंधित उपकरणों की स्थापना और उन्हें चालू करने के लिए सेवा कर से पूरी तरह से छूट दी गई है। आरंभिक स्थापना और विस्तार के लिए सेवा कर से पूरी छूट के साथ पांच प्रतिशत की रियायती सीमा शुल्क पर परियोजना आयात का दर्जा दिया गया है। शीत भंडारण, शीत कक्ष जिसमें परिरक्षण अथवा कृषि एवं संबंधित क्षेत्र के उत्पाद के भंडारण हेतु खेत स्तर पर पूर्व-कूलर इसमें शामिल हैं। भारत में निर्मित न होने वाली कृषि मशीनरी पर पांच प्रतिशत का रियायती सीमा शुल्क, कृषि में प्रयोग होने वाले ट्रेलरों को उत्पाद शुल्क से पूरी छूट दी गई है। इसके अलावा कृषि बीजों के परीक्षण और प्रमाणन को भी सेवा कर छूट दी गई है। रफ्रिरटिड वैन या ट्रकों के विनिर्माण के लिए अपेक्षित रफ्रिजरशन यूनिटों को सीमा शुल्क से पूरी छूट तथा मोटे अनाजों और दालों की सड़क द्वारा ढुलाई को भी सेवा कर से मुक्त रखा गया है। रल द्वारा ढुलाई में छूट पहले ही कायम है।कार्य योजना कोल्ड स्टोरज बनाने के लिए विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) की अनुमति उपजों की बर्बादी रोकने को वेयरहाउस स्थापना के लिए रियायतेंऋण अदायगी करने वाले किसानों को एक के बजाय दो फीसदी ब्याज छूटफूड प्रोसेसिंग के लिए पांच और मेगा फूड पार्क बनेंगेकृषि उत्पादन बढ़ाने को पूर्वी राज्यों के लिए विशेष प्रावधानदलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए 60 हजार गांवों में (बिज़नस भास्कर)

कोई टिप्पणी नहीं: