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13 जनवरी 2010

कैसीन निर्यात पर रोक लगाने की तैयारी

नई द��,दूध की आसमान छूती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए अब सरकार सक्रिय होती दिख रही है। इसके लिए दूध की भारी खपत वाले उत्पाद त्नकैसीनत्न के निर्यात पर रोक लगाने की तैयारी हो रही है। करीब 35 लीटर दूध से एक किलो कैसीन बनता है और पिछले पांच माह में देश से करीब 7000 टन कैसीन का निर्यात हुआ है। इसके लिए हर रोज औसतन करीब 16 लाख लीटर दूध का इस्तेमाल हुआ है। सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बुधवार को होने वाली कीमतों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपी) की बैठक में कैसीन निर्यात पर प्रतिबंध और इस पर मिलने वाली डीईपीबी सुविधा को वापस लेने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इसके साथ स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के निर्यात पर रोक को भी इस प्रस्ताव में शामिल कि या गया है।कैसीन के मामले में अहम बात यह है कि इसे निर्यात करने वाली कंपनियों में से एक श्रायबर डायनेमिक्स डेयरी शरद पवार के गृह क्षेत्र बारामती में स्थित है। इसके अलावा कैसीन निर्यातकों में वीआरएस फूड, भोले बाबा डेयरी, माडर्न डेयरी और कोहिनूर फूड्स शामिल हैं। दूध के बढ़ते दामों के बावजूद कैसीन निर्यात जारी रहने के पीछे सरकार का लचीला रुख मुख्य वजह माना जाता रहा है।सूत्रों के मुताबिक अगस्त से दिसंबर, 2009 के बीच देश से 7000 टन कैसीन का निर्यात किया गया। इसमें से 6300 टन कैसीन तुगलकाबाद ड्राई पोर्ट से और बाकी मात्रा जेएनपीटी से निर्यात की गई। एक लीटर कैसीन बनाने में 35 लीटर दूध लगता है। इस मात्रा के लिए करीब 25 करोड़ लीटर दूध का इस्तेमाल हुआ। एक तरह से देखा जाए तो इसके लिए हर रोज 16 लाख लीटर दूध का इस्तेमाल हुआ।उत्तर भारत से कैसीन का निर्यात करने वाली कंपनियां उत्तर प्रदेश हरियाणा और राजस्थान से दूध की खरीद करती हैं। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली में हर रोज करीब 26 लाख लीटर दूध बेचने वाली मदर डेयरी को हर रोज बड़ी मात्रा में स्किम्ड मिल्क पाउडर का इस्तेमाल कर दूध बनाना पड़ रहा है। मदर डेयरी ने हाल ही में 2500 टन मिल्क पाउडर आयात का सौदा भी किया है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि केवल दिल्ली में ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत में भी दूध का दाम तय करने में अहम भूमिका निभाने वाली मदर डेयरी ही सरकार पर कैसीन निर्यात पर रोक के लिए दबाव बनाने में लगी हुई है। हालांकि, लंबे समय तक इस मामले में ढील के बाद आखिरकार शरद पवार के नेतृत्व वाले कृषि मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग को यह प्रस्ताव सीसीपी को भेजना पड़ा। (बिज़नस भास्कर)

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