कुल पेज दृश्य

23 जनवरी 2010

मिठास देने के मूड में नहीं है चीनी

नई दिल्ली।। कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले सप्ताह आश्वासन दिया था कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि चीनी के दामों में कमी आए। पवार साहब के वादे ने कुछ रंग तो दिखाया और चीनी की थोक कीमतों में मामूली कमी भी आई, लेकिन करीब हफ्ता भर बीतने के बाद भी आम ग्राहकों को इससे ज्यादा राहत नहीं मिलती दिख रही। इस बीच चीनी उद्योग के जानकारों की दलील है कि चीनी की कीमतें हो सकता है कि उच्चतम स्तर छू चुकी हों, लेकिन इसकी संभावना कम ही है कि निकट भविष्य में इसमें नरमी आएगी। कीमतों पर कैबिनेट समिति (सीसीपी) की लंबी बैठक के बाद पिछले सप्ताह पवार ने उम्मीद जताई थी कि हफ्ते-दस दिन में चीनी की थोक कीमतों में कमी आ जाएगी। उन्होंने कहा, 'थोक दामों में कमी आनी शुरू हो गई है। इतने सालों के अपने अनुभव से मैं कह रहा हूं कि खुदरा कीमतों पर इसका असर दिखने में एक सप्ताह से दस दिन तक का वक्त लगता है।'
हालांकि, नीचे की ओर मुड़ने के बजाय चीनी के थोक दाम बीते तीन से चार दिन के दौरान ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं। शुक्रवार को कारोबार शुरू होने पर नई दिल्ली बाजार में शुगर रेडी (एम) की ओपनिंग प्राइस 3,900-4,100 रुपये की पिछली क्लोजिंग प्राइस से 50-100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 3,950-4,150 रुपये पर पहुंची, जबकि शुगर रेडी (एस) की ओपनिंग प्राइस पिछले क्लोजिंग प्राइस स्तर 3,850-4,000 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 3850-4100 रुपये रही। दिल्ली के एक कमोडिटी एनालिस्ट ने ईटी से कहा, 'चीनी की कीमतें रीटेल बाजार में 49-50 रुपये प्रति किलोग्राम के साथ उच्चतम स्तर छू चुकी हैं, लेकिन इसमें गिरावट आई तो भी मामूली ही होगी और यह 42-43 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ सकती है, जिसके बाद यह मुख्य रूप से स्थिर बनी रहेगी। वजह साफ है कि चीनी की कमी है, जिससे बाजार के सेंटिमेंट पर प्रभाव पड़ना जारी रहेगा।' पिछले बुधवार पवार ने कहा था कि आयात होने वाली 56 लाख टन चीनी का 50 फीसदी हिस्सा बंदरगाहों तक पहुंच चुका है, जबकि शेष मार्च तक आ जाएगा। सब मिलाकर इस साल देश के लिए कुल उपलब्ध चीनी का स्तर 2।4 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा, जो 2.3 करोड़ टन के सालाना उपभोग स्तर से 10 लाख टन ज्यादा है। उन्होंने कहा कि भारी बारिश के कारण गन्ने की खराब फसल के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन करने वाले ब्राजील ने इथेनॉल का स्तर घटाया था और इससे भी चीनी की कीमतों पर वैश्विक बाजार सेंटिमेंट पर असर पड़ना स्वाभाविक है। एक हालिया इंटरव्यू में श्री रेणुका शुगर्स के एमडी नरेंद्र मुरकुंबी ने भी इसी बात से सहमति जताते हुए कहा था कि वैश्विक बाजार में चीनी की मार्च की वायदा कीमत ज्यादा होगी और ब्राजील में गन्ने की कम पैदावार निश्चित रूप से ग्लोबल कीमतों पर प्रभाव छोड़ेगी। (ई टी हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: