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12 जनवरी 2010

चीनी का ब्लेमगेम, जनता की मुसीबत

रिटेल बाजार में चीनी के दाम रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। यह तेज
ी कब थमेगी, इस बारे में कृषि मंत्री शरद पवार को भी कुछ पता नहीं है। हद यह है कि वह चीनी के दाम में बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार को नहीं बल्कि यूपी सरकार की जिम्मेदार मानते हैं। दिल्ली के रिटेल बाजार में चीनी अब 45 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जबकि पिछले साल इसी महीने इसकी कीमत 23 से 25 रुपये प्रति किलो थी। पत्रकारों ने जब पवार पर चीनी की बढ़ती कीमत को लेकर सवालों की बौछार की तो वह बौखला गए। उन्होंने कहा कि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं जो बतला सकूं कि चीनी के दाम कब कम होंगे। सरकार प्रयास कर रही है और उम्मीद है कि परिस्थितियां बदलेंगी और चीनी के दाम कम होंगे। रॉ शुगर की बर्बादी चीनी के दाम बढ़ने के लिए कौन जिम्मेदार है? पवार ने कहा कि इसके लिए केंद्र को ही कोसना ठीक नहीं है। रिटेल में चीनी के दाम बढ़ने की एक प्रमुख वजह उत्तर प्रदेश सरकार की लापरवाही और गलत नीतियां हैं। शरद पवार ने कहा कि नवंबर में किसानों ने गन्ने की कीमत बढ़ाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने आयातित 'रॉ शुगर' को प्रोसेस करने पर पाबंदी लगा दी। इसके चलते करीब आठ लाख टन 'रॉ शुगर' बंदरगाहों में पड़ा हुआ है। कांडला पोर्ट में पिछले दो माह से रॉ शुगर पड़ा हुआ है। कोई उठाने वाला नहीं है। इसे कोई कैसे उठाएगा, जब राज्य में इसकी प्रोसेसिंग पर पाबंदी लगी हुई है। नहीं मानी यूपी सरकार पवार ने कहा कि अगर इस रॉ शुगर को प्रोसेस करने की इजाजत मिले तो बाजार में 2।50 लाख टन से 3 लाख टन अतिरिक्त चीनी आ सकती है। इससे रिटेल कीमत की तेजी पर ब्रेक तो लग सकता है। क्या इस मामले में राज्य सरकार से बातचीत की गई? कृषि मंत्री ने कहा कि एक नहीं, कई बार हमने राज्य सरकार को समझाया कि ऐसा करना ठीक नहीं है, मगर वह जिद पर अड़ी हुई है। कीमतों पर विचार आज सूत्रों के अनुसार मंगलवार को होने वाली कैबिनेट कमिटी ऑन प्राइसेज (सीसीपी) की बैठक में महंगाई खासकर खाद्य उत्पादों (जिसमें चीनी भी शामिल है) की कीमतों में तेजी पर विस्तार से चर्चा होगी। इस बाबत कई कदम उठाने की घोषणा की जा सकती है। हालांकि फूड ऐंड सप्लाई मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि चीनी उत्पादन, डिमांड और सप्लाई की जो मौजूदा हालत है, उसे देखते हुए चीनी की कीमत में नरमी आने में काफी वक्त लगेगा। चीनी का सरकारी स्टॉक लगभग खाली है। डिमांड 260 लाख टन सालाना है और उत्पादन 160 लाख टन होने की संभावना है। 100 लाख टन की कमी को पाटना आसान नहीं है। सरकार ज्यादा से ज्यादा 25 से 30 लाख टन चीनी का आयात कर सकती है। (नवभारत)

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