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15 जनवरी 2010

बंद उर्वरक प्लांटों को चालू करने की योजना खटाई में

देशभर में बंद पड़ी उर्वरक इकाइयों को दोबारा चालू करने की योजना फिलहाल खटाई में पड़ गई है। इस योजना के अटकने की मुख्य वजह है गैस सप्लाई को लेकर कोई स्पष्ट नीति न होना। उर्वरक इकाइयों मेर्ं ईधन के रूप में गैस की अहम भूमिका होती है। केजी बेसिन से गैस मिलने के बाद देशभर में बंद पड़ी उर्वरक इकाइयों को दोबारा चालू करने के प्रस्ताव को मंत्रियों के समूह ने 30 अक्टूबर 2008 को हरी झंडी दिखाई थी, लेकिन इस योजना पर अभी तक कुछ खास नहीं हो पाया है।उर्वरक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि देशभर में बंद पड़ी आठ उर्वरक इकाइयों को दोबारा चालू करने की योजना फिलहाल अटकी हुई है। बरौनी स्थित यूरिया इकाई के लिए आरसीएफ, कृभको और एनएफएल ने स्पेशल परपस व्हीकल (एसपीवी) बनाया था। इस एसपीवी के तहत तीनों कंपनियों को मिलकर बरौनी स्थित इस इकाई को दोबारा चालू करना था। यह समूची परियोजना लगभग 3,200 करोड़ रुपये की थी और इसे वर्ष 2012 तक चालू करने की बात कही गई थी। इस प्लांट की सालाना क्षमता 11.55 लाख टन यूरिया उत्पादन की है। अधिकारी ने बताया कि यह प्लांट गैस आधारित होना था, लेकिन केजी बेसिन से मिलने वाली गैस को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट नीति नहीं होने की वजह से इस परियोजना पर आगे कुछ भी नहीं हो पाया है।अधिकारी ने बताया कि सभी उर्वरक कंपनियां बंद पड़ी उर्वरक इकाइयों को दोबारा चलाने में रुचि रखती हैं, लेकिन वह कम से कम 10 साल का दीर्घकालिक गैस कांट्रैक्ट चाहती हैं। वहीं, अभी तक केजी बेसिन से मिलने वाली गैस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। लिहाजा, कोई भी कंपनी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। अधिकारी ने बताया कि बरौनी के अलावा तलचर, हल्दिया, रामागुंडम, दुर्गापुर, गोरखपुर, कोरबा और सिंदरी स्थित बंद पड़ी उर्वरक इकाइयों को भी दोबारा चालू करने की योजना थी। (बिज़नस भास्कर)

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