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16 जनवरी 2010

जीरा निर्यात में भारत को कड़ी टक्कर मिल रही है दूसरे देशों से

अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों के आयातकों की मांग घटने से जीरा निर्यात में भारत को दूसरी उत्पादक देशों से कड़ी टक्कर मिल रही है। चीन, टर्की और सीरिया के निर्यातकों द्वारा दाम घटाए जाने के बाद भारतीय जीरे के मूल्यों पर दबाव बढ़ गया है। चालू महीने में घरेलू बाजार में जीरे की कीमतों में लगभग दस फीसदी की गिरावट आ चुकी है। ऊंझा मंडी में जीरे के भाव घटकर 12,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि जनवरी के प्रथम सप्ताह में भाव 13,600 रुपये प्रति क्विंटल थे। अनुकूल मौसम से जीरे की घरेलू पैदावार में बढ़ोतरी होने की संभावना है इसीलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली पहले की तुलना में बढ़ गई है। जिससे गिरावट को बल मिल रहा है।मुंबई स्थित मैसर्स जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर भास्कर शाह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि अनुकूल मौसम से भारत में जीरे की नई फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होने की संभावना है इसीलिए अमेरिका, यूरोप तथा खाड़ी देशों के आयातकों ने खरीद कम कर दी है। उधर चीन, टर्की और सीरिया के निर्यातकों ने दाम घटा दिए हैं जिससे घरेलू बाजार में जीरे की गिरावट को बल मिला है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में टर्की में जीरे के भाव घटकर 2,750 डॉलर, सीरिया के जीरे के 2,700 डॉलर और चीन तथा ईरान के जीरे के भाव 2,650 डॉलर प्रति टन (एफओबी) रह गए हैं। भारतीय जीरे के भाव 2600-2650 डॉलर प्रति टन चल रहे हैं। दिसंबर के मुकाबले चालू महीने में अंतराष्ट्रीय बाजार में जीरे की कीमतों में करीब 250-300 डॉलर प्रति टन की गिरावट आ चुकी है।भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार नवंबर महीने में भारत से जीरे के निर्यात में 11 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान 4,000 टन का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4,500 टन का निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर तक जीरे के निर्यात में चार फीसदी की कमी आकर 34,250 टन का निर्यात हुआ है। पिछले साल इस समय तक 35,700 टन जीरे का निर्यात हुआ था। मैसर्स हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि ऊंझा मंडी में जीरे का स्टॉक करीब पांच-छह लाख बोरी (एक बोरी 55 किलो) का ही बचा है। लेकिन अनुकूल मौसम से नई फसल का उत्पादन बढ़कर 30 लाख बोरी से ज्यादा होने की संभावना है। पिछले साल देश में जीरे का 28 लाख बोरी का उत्पादन हुआ था। ब्याह-शादियों का मौसम न होने से घरेलू मांग भी कमजोर बनी हुई है। इसलिए पिछले आठ-दस दिनों में जीरे की कीमतों में दस फीसदी की कमी आकर भाव 12,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। निर्यातकों के साथ घरेलू मांग कमजोर होने से मौजूदा कीमतों में और भी आठ-दस फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। वायदा बाजार में पिछले एक सप्ताह में जीरे की कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है।घरेलू मंडियों में जीरे की नई फसल की आवक फरवरी-मार्च में होगी। उधर चीन में नई फसल की आवक फरवरी-मार्च में होती है तथा टर्की और सीरिया में जुलाई-अगस्त में नई फसल की आवक बनेगी। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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