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14 जनवरी 2010

पंजाब की मिलों में 40 लाख टन धान विवाद में फंसा

पंजाब की चावल मिलों में करीब 40 लाख टन धान विवादों में फंसा पड़ा है। पीएयू 201 किस्म के धान की मिलिंग के मुद्दे पर मिल संचालकों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ है। मिल संचालकों का कहना है कि इस धान की मिलिंग के संबंध में एफसीआई उनकी मांग नहीं मानता है, तब तक मिलिंग नहीं होगी। मिल संचालक इस धान की मिलिंग के लिए ज्यादा टूटा व खराब चावल स्वीकार करने के लिए एफसीआई से सहमति मांग रहे हैं। पंजाब की मिलों में 40 लाख टन धान अटकने से केंद्रीय पूल में चावल की सप्लाई प्रभावित होने का अंदेशा पैदा हो गया है।राइस मिलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तरसेम सैनी का कहना है कि एफसीआई 15 दिन में इस मुद्दे को बातचीत करके सुलझाए। सैनी का कहना है कि एफसीआई ने पीएयू 201 धान की मिलिंग मंे चावल के नुकसान (फफूंद की वजह से काला पड़ना) की सीमा 4 फीसदी तय की है जबकि इस किस्म के धान की मिलिंग में 11 फीसदी तक नुकसान हो रहा है। मिलिंग के दौरान 25 फीसदी तक टूटा चावल एफसीआई ले रहा है। जबकि मिल संचालक इस किस्म के लिए 40 फीसदी तक टूटा चावल स्वीकार करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें 40 फीसदी तक टूटन हो रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में पंजाब एग्रीकल्चरल यूनीवर्सिटी (पीएयू) ने इस किस्म का विकास किया था। पिछले साल मिलों में यह धान पहुंचने पर संचालकों ने समस्या उठाई थी। सैनी का कहना है कि पिछले साल मिलों के पास इस किस्म का 10 लाख टन धान एफसीआई द्वारा भेजा गया था। इस बार इसकी मात्रा चार गुना बढ़ने से मिलर्स को परशानी का सामना करना पड़ रहा है।मिल संचालकों का कहना है कि एफसीआई को इस किस्म में चार के बजाय 10 फीसदी तक नुकसान की मंजूरी देनी चाहिए। इसके अलावा टूटे चावल की सीमा भी 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी की जानी चाहिए। मिलिंग नुकसान में चावल बंदरंग हो जाता है और वह खाने योग्य नहीं रहता है। सैनी का कहना है कि एफसीआई पीएयू 201 धान पर रियायत नहीं देता है, तो वे यह धान उसे लौटा दिया जाएगा।पंजाब की मिलों में कुल करीब 140 लाख टन धान मिलिंग के लिए पहुंच चुका है। इसमें से दूसरी किस्मों के 100 लाख टन धान में कोई समस्या नहीं है और उनकी मिलिंग हो रही है। इसमें करीब 10-12 फीसदी धान की मिलिंग हो चुकी है। लेकिन 40 लाख टन पीएयू 201 किस्म धान मिलों में अटका हुआ है। इस कारण न तो इसकी मिलिंग नहीं हो रही है और न ही इसे केंद्रीय पूल में भेजा जा रहा है। (बिसनेस भास्कर)

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