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20 जनवरी 2010

बासमती निर्यात में 15 फीसदी बढ़त के अनुमान

नई दिल्ली January 20, 2010
बासमती चावल के निर्यात में वर्ष 2009-10 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।
निर्यातकों ने बासमती चावल के निर्यात में और बढ़ोतरी के वास्ते सरकार से इस श्रेणी के धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की है। ताकि किसानों को सीधे तौर पर निर्यात लाभ से जोड़ा जा सके।
बासमती चावल निर्यातकों के मुताबिक वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान कुल 23 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया था। खाड़ी देशों में बासमती की अच्छी मांग होने के कारण इस साल यह निर्यात 26-27 लाख टन रहने का अनुमान है। भारत मुख्य रूप से खाड़ी देशों को बासमती चावल का निर्यात करता है।
हालांकि पिछले दिनों ईरान में बासमती चावल के आयात पर 200 डॉलर प्रति टन की डयूटी लगने से वहां से निकलने वाली मांग कमजोर हुई है। निर्यातकों ने बताया कि डयूटी लग जाने से वहां के चावल आयातक पहले के स्टॉक को निकालने के बाद ही कोई नया ऑर्डर देंगे। इसलिए चावल निर्यात में बहुत बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।
निर्यातक कहते है कि पूसा-1121 बासमती चावल के लिए यूरोप का बाजार खुल जाने पर निर्यात में 3-4 लाख टन की बढ़ोतरी हो सकती है। उनके मुताबिक सरकार की ढीले रवैये के कारण यूरोप के देशों ने पूसा-1121 को अब तक बासमती चावल की मान्यता नहीं दी है। जबकि यूरोप में निर्यात होने वाले बासमती चावल पूसा-1121 के मुकाबले कम उम्दा है।
चावल निर्यात संघ के पदाधिकारी विजय सेतिया ने बताया कि बासमती धान के लिए कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं होने से भी इसके निर्यात को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। एमएसपी तय होने से बासमती उत्पादक किसान सीधे तौर पर इसके निर्यात से जुड़ जाएंगे।
अभी किसानों को यह पता नहीं होता है कि उन्हें बासमती धान के लिए कम से कम क्या कीमत मिल जाएगी। खुली बिक्री होने पर कई बार बासमती धान उत्पादकों को कम कीमत पर संतोष करना पड़ता है।
सरकार के सहयोग की जरूरत
कारोबारियों ने सरकार से बासमती श्रेणी के धान के लिए अलग न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने की मांग कीचालू वित्त वर्ष के अंत तक 26-27 लाख टन बासमती चावल निर्यात का अनुमान (बीएस हिन्दी)

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