कुल पेज दृश्य

19 दिसंबर 2009

तिलहनों और मोटे अनाजों की बुवाई में नहीं आई रफ्तार

चालू रबी सीजन में गेहूं और दलहन की बुवाई लगभग पांच लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में हुई है लेकिन तिलहनों की 3।8 लाख हैक्टेयर में पिछड़ी है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक देश में गेहूं की बुवाई 231.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5.31 लाख हैक्टेयर ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में गेहूं की बुवाई 226.01 लाख हैक्टेयर में हुई थी। रबी सीजन के धान की रोपाई बढ़कर 3.99 हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 2.73 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। रबी दलहनों की कुल बुवाई में पिछले साल के मुकाबले 5.30 लाख हैक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। अभी तक देश में 117.90 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हुई है जोकि पिछले साल 112.59 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चने की बुवाई 72.60 लाख हैक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 75 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। मसूर की बुवाई भी पिछले साल के 13.73 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 15.33 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। हालांकि रबी में उड़द की बुवाई पिछले साल के 3.78 लाख हैक्टेयर के मुकाबले घटकर 3.59 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।रबी तिलहनों की देश में अभी तक मात्र 81.35 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 85.15 लाख हैक्टेयर में हुई थी। तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 62.55 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 63.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से सूरजमुखी की बुवाई 6.98 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 9.42 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी मूंगफली की बुवाई अभी तक 3.62 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.69 लाख हैक्टेयर के मुकाबले थोड़ी कम है।मोटे अनाजों की बुवाई भी अभी तक मात्र 59.19 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.11 लाख हैक्टेयर से कम है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई पिछले साल के 48 लाख हैक्टेयर के मुकाबले घटकर 43.57 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। रबी मक्का की बुवाई 8.11 लाख हैक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.97 लाख हैक्टेयर से थोड़ी ज्यादा है। जौ की बुवाई 7.02 लाख हैक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 7.21 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। (बिज़नस भास्कर)

कोई टिप्पणी नहीं: