कुल पेज दृश्य

29 दिसंबर 2009

वैश्विक कमी से 2 माह में 50 फीसदी महंगी हुई इलायची

मुंबई December 29, 2009
इलायची की खेती करने वाले इस समय जमकर मुनाफा काट रहे हैं।
मसालों का राजा कहे जाने वाले इलायची की कीमतों में पिछले 2 महीनों के दौरान 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कीमतों में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह वैश्विक उत्पादन में गिरावट को माना जा रहा है।
मुंबई के हाजिर बाजार में सोमवार को इलायची के सबसे बड़े आकार वाली इलायची (8 मिलीमीटर बोल्ड) की कीमतें 1025-1040 रुपये प्रति किलो रही। वहीं मध्यम आकार वाले (7 मिलीमीटर) और सामान्य (6 मिलीमीटर) आकार के इलायची की कीमतें 950 और 900 रुपये प्रति किलो रहीं। इलायची की गुणवत्ता आकार और बोल्डनेस के आधार पर तय की जाती है।
शहर के एक प्रमुख कारोबारी के मुताबिक इलायची की सभी किस्मों की कीमतों में पिछले 2 महीने के दौरान 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में इसकी जनवरी 2010 डिलिवरी की कीमतें सोमवार को बढ़कर 1104.10 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गईं।
29 अक्टूबर को इसके भाव 746.70 रुपये प्रति किलो थे, जिसकी तुलना में सोमवार को कीमतों में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। गुरुवार को एमसीएक्स में जनवरी, फरवरी और मार्च के वायदा सौदे ऊपरी सर्किट को छू गए थे।
कृषि जिंस शोध फर्म निर्मल बंग के प्रमुख कुणाल शाह ने कहा, 'विश्व के सबसे बड़े इलायची उत्पादक देश ग्वाटेमाला से इलायची की आपूर्ति घटी है। निर्यात के मोर्चे पर ग्वाटेमाला, भारत का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी देश है। कीमतों में और बढ़ोतरी के अनुमान से कारोबारी, इलायची का स्टॉक जमा कर रहे हैं।'
पिछले 3 साल से ग्वाटेमाला में इलायची उत्पादन में लगातार कमी आ रही है। 2009 में जहां कुल उत्पादन 15,000 टन रहा, वहीं 2008 और 2007 में उत्पादन क्रमश: 18000-20,000 टन और 24,000 टन था। इस साल प्रतिकूल मॉनसून के चलते फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिसके चलते कारोबारी ज्यादा कीमतों के अनुमान से बड़े पैमाने पर खरीदारी कर स्टॉक जमा कर रहे हैं।
इसी क्रम में ग्वाटेमाला से वैश्विक बाजारों में इलायची की आपूर्ति में खासी कमी आई है। यह घटकर 5000-6000 टन रह गया है। इसका फायदा भारतीय निर्यातकों को हुआ है और उन्हें निर्यात के लिए खाली जगह मिली है। ग्वाटेमाला से आपूर्ति सामान्यतया अक्टूबर में शुरू होती है। लेकिन वैश्विक आपूर्ति की 60 प्रतिशत आपूर्ति दिसंबर के अंत तक हुई। वहां पर घरेलू खपत मामूली है।
इसके विपरीत भारत में बेमौसम बारिश का फायदा भारत के इलाचली उत्पादकों को मिला। सीजन की शुरुआत में कारोबारी उत्पादन में 15 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन फसल तैयार होने के समय बारिश हो गई। अब कारोबारियों का अनुमान है3 कि उत्पादन इस साल 10-15 प्रतिशत बढ़कर 14,000 टन से ज्यादा हो जाएगा। पिछले साल इलायची का उत्पादन 11,000-12,000 टन हुआ था।
मुंबई स्थित एक कारोबारी और निर्यातक ने कहा, 'ग्वाटेमाला से आपूर्ति कम होने की वजह से पिछले 6-7 महीनों से भारत इलायची का बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। ग्वाटेमाला में उत्पादन में कमी की वजह से बड़े आयातकों को भारत का रुख करना पड़ रहा है। वे इसके प्रीमियम किस्म के दाम 1-4 डॉलर प्रति किलो दे रहे हैं।'
भारत में इलायची की घरेलू खपत करीब 10,000 टन है। इसके चलते 4,000 टन इलायची निर्यात के लिए बच जाती है। अनुमान है कि पूरे साल के दौरान इलायची की कीमतों में मजबूती बनी रहेगी। कारोबारियों का कहना है कि निकट भविष्य में कीमतों में गिरावट की कोई उम्मीद नहीं हैं।
दिसंबर में समाप्त होने वाले इलायची वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भारत से इलायची का निर्यात दोगुने से ज्यादा बढ़कर करीब 2000 टन हो गया है। पिछले साल की समान अवधि में 800 टन इलायची का निर्यात हुआ था।
निर्यात मांग में बढ़ोतरी
दुनिया के सबसे बड़े इलायची उत्पादक ग्वाटेमाला में उत्पादन की कमी से कीमतें बढ़ींमुंबई में इलायची 1025-1040 रुपये प्रति किलोनिर्यात के क्षेत्र में बढ़ा भारत का दबदबावायदा बाजार में भी कीमतें आसमान पर (बीएस हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: