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20 नवंबर 2009

कमोडिटी में निवेश का क्या है फॉर्म्यूला?

इक्विटी बाजारों में बीते कुछ वक्त से जोरदार उछाल दर्ज किया जा रहा था, लेकिन आखिरकार उसका साबका गिरावट और कंसॉलिडेशन, दोनों से हुआ। इन दिनों इक्विटी बाजारों में उठापटक का दौर देखने को मिल रहा है और मध्यम अवधि में निवेश के लिए डेट उत्पाद अनिश्चित दिख रहे हैं, ऐसे में निवेशक एक अन्य एसेट क्लास कमोडिटी की ओर देख रहे हैं। कमोडिटी में कीमती धातु, गैर-कीमती धातु, तेल एवं कृषि उत्पाद आते हैं। सोने जैसी कीमती धातु वायदा बाजार, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और भौतिक जैसे कई माध्यमों से खरीदी जा सकती है। बीते कुछ साल में कमोडिटी में निवेश को काफी रफ्तार मिली है, जिसके बाद कमोडिटी पर आधारित थिमेटिक म्यूचुअल फंड भी देखने को मिले।
पोर्टफोलियो में एसेट क्लास के रूप में कमोडिटी को शामिल करने से डायवर्सिफिकेशन के फायदे मिलते हैं और साथ ही निवेश को स्थिरता भी मिलती है। इनमें से एक विकल्प मेटल में निवेश करने से जुड़ा है, चाहे वह कीमती हो या साधारण। सोना कई निवेशकों के पोर्टफोलियो में जगह बनाता है, लेकिन अन्य धातुओं को कई बार कमोडिटी और वायदा बाजार के काम करने के तरीके बारे में कम जानकारी के चलते नजरअंदाज कर दिया जाता है। कीमती धातु कीमती धातुओं में सोना, चांदी और प्लेटिनम गिने जाते हैं। सोना लंबे वक्त से शीर्ष कीमती धातु मानी जाती है और यह कमोडिटी के बजाय मौद्रिक एसेट के तौर पर काम करती है। मुद्रास्फीति दर के खिलाफ प्रभावी ढाल माने जाने वाला सोना दुनिया भर में अहम बनता जा रहा है और तमाम मुल्कों के केंद्रीय बैंक डॉलर के बजाय सोने के भंडार को तरजीह देने लगे हैं, क्योंकि अमेरिकी मुद्रा का मूल्य लगातार घटता जा रहा है। चांदी को न केवल कीमती, बल्कि औद्योगिक धातु के तौर पर भी देखा जाता है। बड़ी मात्रा में चांदी औद्योगिक सेक्टरों में इस्तेमाल की जाती है, इसलिए चांदी और आर्थिक गतिविधियों का रिश्ता काफी गहरा है। मांग में ज्यादा बढ़त से आपूर्ति के मोर्चे पर कमी आती है, जिससे कीमतों में इजाफा होता है। गैर कीमती धातु फेरस और गैर-फेरस धातुओं के लिए मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर कीमत तय करने का काम करता है। इन्हें वैल्यू बढ़ाने के लिए स्टोर नहीं किया जाता, बल्कि उद्योग के उपभोग के लिए खरीदा-बेचा जाता है। इनमें स्टील, तांबा, एल्यूमीनियम, जस्ता, लेड, टिन और निकल शामिल है। इन धातुओं की मांग बुनियादी रूप से आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार तय करती है। मसलन, इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन के सामान में स्टील सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण के मोर्चे पर हरकत तेज होने पर स्टील की मांग में काफी इजाफा आता है। घरेलू स्तर पर मांग-आपूर्ति के अलावा इन धातुओं की कीमत काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति पर भी निर्भर करती है। निवेश के मोर्चे पर समझदार और चतुर तथा बाजार की पूरी जानकारी रखने वाले निवेशक के लिए कमोडिटी पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा बन सकती हैं। दूसरों के लिए वायदा बाजार के जरिए कमोडिटी में ट्रेडिंग करना सही नहीं होगा। हालांकि, अपने पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा वह सोना या चांदी जैसे मेटल खरीदने में लगा सकते हैं, जिससे पोर्टफोलियो को डायवसिर्फिकेशन और स्थिरता दोनों दी जा सके। (ई टी हिन्दी)

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