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24 नवंबर 2009

मसाला निर्यात में हो रही गिरावट अब धीमी

कोच्चि November 23, 2009
देश से मसालों के निर्यात में हो रही गिरावट की दर अप्रैल से अक्टूबर के दौरान काफी घट गई है।
आकार के लिहाज से गिरावट की दर 1.3 फीसदी रह गई है तो मूल्य के लिहाज से यह 1.6 फीसदी रही है। मसाला बोर्ड के ताजा अनुमान के मुताबिक, इस दौरान कुल 2,80,885 टन मसाले का निर्यात हुआ, जो 3,031.6 करोड़ रुपये का रहा।
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में देश से 2,84,560 टन मसाले का निर्यात किया गया था। मूल्य के लिहाज से यह निर्यात 3,080.25 करोड़ रुपये का था। अप्रैल से सितंबर की अवधि में 5.7 फीसदी (वजन के लिहाज से) और 5 फीसदी (मूल्य के लिहाज से) गिरावट हुई।
काली मिर्च का निर्यात अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में जबरदस्त घटा। इस दौरान 11,500 टन काली मिर्च का 179 करोड़ रुपये में निर्यात किया गया। साल भर पहले की समान अवधि में 247 करोड़ रुपये के 14,750 टन काली मिर्च का निर्यात हुआ था। मिर्च का निर्यात भी घटकर 1,00,500 टन रह गया।
साल भर पूर्व की समान अवधि में 1,21,500 टन मिर्च का निर्यात हुआ था। हालांकि मूल्य के लिहाज से तेजी हुई है। पिछले साल इस दौरान 660 करोड़ रुपये के मिर्च का निर्यात किया गया, जबकि इस बार 706.5 करोड़ रुपये का मिर्च निर्यात किया गया। धनिया का निर्यात इस दौरान सुधरा है।
पिछले साल की समान अवधि में 117 करोड़ रुपये का 17,100 टन धनिया निर्यात किया गया था, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष की समान अवधि में 25,250 टन और 128 करोड़ रुपये मूल्य का धनिया बाहर भेजा गया। कढ़ी पाउडर के निर्यात में भी थोड़ा सुधार हुआ है।
अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 110 करोड़ रुपये के 8,750 टन कढ़ी पाउडर का निर्यात किया गया। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 97 करोड़ रुपये के 8,500 टन पाउडर का निर्यात हुआ था। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान भारत ने कुल 4,70,520 टन मसाले का निर्यात किया था। इनका मूल्य 5,300 करोड़ रुपये रहा।
इसके साल भर पहले यानी वित्त वर्ष 2007-08 में 4,435.5 करोड़ रुपये मूल्य के 4,44,250 टन मसाले का निर्यात हुआ था। मसाला बोर्ड ने वित्त वर्ष 2009-10 में 4,500 करोड़ रुपये मूल्य के 4,35,000 टन मसाले का निर्यात करने का लक्ष्य रखा है।
मंदी के चलते मसाले की मांग कम होने से निर्यात लक्ष्य को कम रखा गया है। अप्रैल से सितंबर तक मसाला निर्यात में कमी होने से इस लक्ष्य को भी पा पाना मुश्किल दिखने लगा था। हालांकि समय आगे बढ़ता गया, गिरावट की दर घटती चली गई। (बीएस हिन्दी)

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