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24 नवंबर 2009

साथ नहीं छोड़ रहा है गन्ने का जिन्न

नई दिल्ली November 23, 2009
गन्ने के राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) पर राज्य सरकार की जिम्मेदारियों को पलटने के बाद विपक्ष ने सोमवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर दबाव डाला।
विपक्ष का दबाव इस बार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 में संशोधन करने वाले हालिया अध्यादेश को पलटने के लिए है, जिससे चीनी मिलों के अतिरिक्त लाभ कमाने की हालत में किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलना जारी रहे।
गौरतलब है कि हाल के एक अध्यादेश से गन्ना (नियंत्रण) आदेश की धारा 5 (अ) को निष्क्रिय कर दिया गया है। इस धारा के मुताबिक, चीनी वर्ष के आखिर में अतिरिक्त लाभ मिलने पर चीनी मिलों को इसकी 50 फीसदी राशि किसानों को देनी होती थी।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और जनवितरण प्रणाली के मंत्रालय ने 6 नवंबर को जारी अपनी विज्ञप्ति में कहा था, 'गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 की धारा 5 (अ), जो चीनी मिलों को अतिरिक्त मुनाफा किसानों के साथ बांटने को कहता है, को समाप्त किया जा रहा है।'
129.84 रुपये प्रति क्विंटल की नई एफआरपी को वैधनिक न्यूनतम मूल्य (एसएमपी) के बदले लाया गया था। गन्ने की एसएमपी 107.76 रुपये प्रति क्विंटल थी। सोमवार को संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल द्वारा नाश्ते पर बुलाई गई बैठक में भाजपा और अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल ने कहा कि नया गन्ना (नियंत्रण) आदेश किसानों के अतिरिक्त मुनाफा कमाने के मौके को खत्म कर देगा।
एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'विपक्षी दलों ने हमें बताया कि वे केवल 14,000 करोड़ रुपये का बोझ खत्म करने के लिए समर्थन देंगे। वे नहीं चाहते कि हम इस आदेश में कहीं और दखल दें। हमें इस मसले पर राजनीतिक दलों की राय लेनी होगी।'
सोमवार की बैठक में दोनों सदनों में विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली ने शिरकत की। सूत्रों के मुताबिक, नेताओं ने सरकार को कहा कि वे सरकार को 14,000 करोड़ रुपये का बोझ खत्म करने के लिए समर्थन देंगे, लेकिन केंद्र को इस समर्थन का इस्तेमाल अन्य किसी परिवर्तन के लिए नहीं करना चाहिए।
सरकार ने मंगलवार दोपहर बाद 3 बजे खाद्य मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में एक और सर्वदलीय बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसमें लागू किए जाने वाले विधेयक के कानूनी पहलुओं को बताया जाएगा।
विपक्ष ने फिर डाला दबाव
गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 में संशोधन करने वाले हालिया अध्यादेश को पलटने का दबावइस धारा के मुताबिक चीनी वर्ष के आखिर में अतिरिक्त लाभ मिलने पर 50 प्रतिशत लाभांश किसानों को देना होता थाकेंद्र सरकार ने इस नियम को समाप्त कर दिया था (बीएस हिन्दी)

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