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24 अक्तूबर 2009

सरकारी मिठास से भी गन्ना रहा फीका

नई दिल्ली October 23, 2009
उत्तर प्रदेश सरकार ने पेराई सत्र 2009-10 के लिए राज्य में गन्ने का समर्थन मूल्य (एसएपी) तय कर दिया है। वैसे तो सरकार ने पिछले साल के मुकाबले सामान्य गन्ने की कीमत में 25 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है।
लेकिन किसानों को यह बढ़ोतरी नाकाफी लग रही है क्योंकि उन्हें इससे इससे अधिक की उम्मीद थी। नाराज किसानों ने गन्ने की आपूर्ति रोकने और सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाने की धमकी दी है। सरकार ने सामान्य किस्म के गन्ने की कीमत 165 रुपये प्रति क्विंटल तय की है।
वहीं उम्दा किस्म के गन्ने की कीमत 170 रुपये प्रति क्विंटल और कम रस वाले गन्ने की कीमत 162.50 रुपये प्रति क्विंटल तय की है। पिछले साल यही कीमतें क्रमश: 140 रुपये प्रति क्विंटल और 145 रुपये प्रति क्विंटल थीं।
राज्य में पैदा होने वाले कुल गन्ने में से 80 फीसदी सामान्य किस्म का होता है जबकि 15 फीसदी गन्ना उम्दा किस्म और 5 फीसदी कम रस वाला होता है। इससे पहले केंद्र सरकार गन्ने की न्यूनतम कीमत 107 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से तय कर चुकी है।
लेकिन यह कीमत किसानों को लुभा नहीं रही है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'यह कीमत हमारी उम्मीद से कम है। राज्य सरकार ने गन्ना किसानों के साथ अन्याय किया है। आने वाले दिनों में गन्ने के कम उत्पादन से चीनी की कीमतें और तेज हो जाएंगी।'
गाजियाबाद के किसान जगबीर सिंह कहते हैं, 'पिछले साल भी गन्ने की कमी थी और मिलों ने गन्ने के लिए तय मूल्य के अलावा 25-30 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त भुगतान किया था। इस बार पिछले साल के मुकाबले गन्ने के उत्पादन में कम से कम 10 फीसदी की कमी है। ऐसे में मिल इस साल भी 30-35 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त भुगतान करेंगी।'
किसानों का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर में गन्ने की पेराई शुरू होने के दौरान चीनी की कीमत 16 रुपये प्रति किलोग्राम थी। लेकिन इस साल अक्टूबर में चीनी के भाव 32.50 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहे हैं। उस हिसाब से गन्ने का भुगतान मूल्य 280 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। क्योंकि पिछले साल सरकार ने गन्ने का मूल्य 140-145 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था।
पर मजबूर हैं किसान
सरकारी मूल्य से निराश किसान आंदोलन करना चाहते हैं, लेकिन मजबूरियां उन्हें रोक रही हैं। किसान पेडी गन्ना (जो गन्ने की कटाई के बाद खेतों में उग आते हैं) को दिसंबर तक खेतों में नहीं रख सकते हैं क्योंकि गेहूं बोने के लिए खेत खाली करने हैं।
मोदीनगर के गन्ना किसान हरेंद्र नेहरा कहते हैं, 'किसानों को पैसा भी चाहिए। अगर सरकार गन्ने की कीमत 30 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ा भी देती है तो उन्हें गेहूं बोने में ज्यादा लाभ होगा। हां, वे विरोध के तौर पर मिलों में गन्ने की आपूर्ति धीमी जरूर कर देंगे।'
पिछले साल से 25 रुपये ज्यादा है गन्ने की कीमत पर किसानों की उम्मीद से दाम हैं बहुत कम कोल्हू वाले दे रहे हैं 190 से 220 रुपये प्रति क्विंटल कोल्हू को मिलेगा ज्यादा गन्ना यानी चीनी होगी महंगी (बीएस हिन्दी)

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