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18 सितंबर 2009

एमईपी घटा लेकिन बासमती चावल निर्यात ऊंचे भाव पर

भारतीय निर्यातक इस समय करीब 1200 डॉलर प्रति टन के भाव पर बासमती निर्यात के सौदे कर रहे हैं। यह भाव पिछले साल के भाव से करीब 9 फीसदी ऊपर हैं। प्रीमियम क्वालिटी के चावल की मांग बढ़ने के कारण मूल्य में बढ़ोतरी हुई है। पिछले माह भी निर्यातकों ने 1100 डॉलर प्रति टन के भाव पर सौदे किए थे। गौरतलब है कि सरकार ने हाल में बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) घटाकर 900 डॉलर प्रति टन तय किया था।कारोबारी सूत्रों के मुताबिक दस में से कम से कम छह सौदे 1200 डॉलर प्रति टन पर हो रहे हैं। सिर्फ सौदे 900 डॉलर प्रति टन एमईपी में हो रहे हैं। चंडीगढ़ के एक निर्यातक ने बताया कि इस साल कारोबारी पिछले साल से ऊंचे भाव पर सौदे कर रहे हैं। चूंकि इस साल कई तरह किस्मों का बासमती उपलब्ध है इसलिए मूल्य में काफी अंतर है। इस निर्यातक के अनुसार 1200 डॉलर प्रति टन के भाव पर सौदे इस शर्त पर हो रहे हैं कि 50 डॉलर से ज्यादा का उतार-चढ़ाव आने पर मूल्य के मामले में दुबारा बातचीत होगी। सरकार ने हाल में बासमती का एमईपी 200 डॉलर प्रति टन घटाकर 900 डॉलर प्रति टन तय किया था। इससे पहले एमईपी 1200 से घटाकर 1100 डॉलर प्रति टन किया था। सरकार ने यह कदम निर्यातकों को विश्व बाजार में पाकिस्तान से टक्कर लेने के लिए उठाया था। दुनिया में बासमती चावल सिर्फ भारत व पाकिस्तान में पैदा होता है। निर्यातकों के अनुसार पिछले साल पूसा 1121 बासमती के भाव 1100 डॉलर प्रति टन थे। बाद में भाव बढ़कर 1800 डॉलर प्रति टन तक बढ़ गए। इस साल बासमती के दाम इतने ऊपर जाने की संभावना नहीं है। इस साल बासमती चावल की बुवाई का एरिया करीब 20 फीसदी बढ़ गया। एग्रीकल्चरल प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स डवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के एक अधिकारी ने बताया कि बासमती चावल के उत्पादन का सटीक अनुमान अक्टूबर के पहले सप्ताह में लग सकेगा। (बिज़नस भास्कर)

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