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30 सितंबर 2009

चीन में मांग बढ़ने से भारतीय लौह अयस्क 16 फीसदी महंगा

चीन में मांग बढ़ने के कारण देश में लौह अयस्क का निर्यात भाव पिछले एक सप्ताह में 16 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ा है। भारतीय खनिज उद्योग संगठन के एक अधिकारी ने बताया कि चीन के प्रमुख ग्राहक वहां राष्ट्रीय अवकाश आने से पहले जल्द से जल्द स्टॉक पूरा कर लेना चाहते हैं और ऐसे में मांग बढ़ रही है। संगठन के महासचिव आर।के. शर्मा ने मंगलवार को एक इंटरव्यू में कहा कि इस महीने के शुरू में लौह अयस्क की कीमतें 60 डॉलर प्रति टन थीं जो अब बढ़कर 70 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं। चीन की सरकार ने जब से 586 अरब डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज उद्योगों के लिए जारी किया है, स्टील उत्पादकों ने लौह अयस्क की खरीद तेज कर दी है। चीन की अर्थव्यवस्था की विकास दर इस वर्ष 8.2 फीसदी रहने की संभावना है जबकि इससे पहले मार्च में एशियाई विकास बैंक ने चीन की विकास दर 7 फीसदी रहने की संभावना व्यक्त की थी। शर्मा ने कहा कि चीन में मांग जोर पकड़ रही है और इसका फायदा भारत को भी मिल रहा है। इससे पहले संगठन के अध्यक्ष सिद्धार्थ रूंगटा ने कहा था कि भारत का लौह अयस्क निर्यात अगस्त में 15 फीसदी और सितंबर के पहले दो सप्ताह में 25 फीसदी गिरने की संभावना है। कैनबरा स्थित ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स इकॉनोमिक्स ने 22 सितंबर को कहा था कि विश्व के सबसे बड़े लौह अयस्क उपभोक्ता चीन अगले वर्ष मांग के पूर्व अनुमान से 20 फीसदी ज्यादा लौह अयस्क खरीद सकता है। जून में चीन ने 5,290 लाख टन लौह अयस्क आयात का अनुमान लगाया था लेकिन कैलेंडर वर्ष 2010 में चीन का आयात 6,370 लाख टन रह सकता है। ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक अगले वर्ष इस्पात की वैश्विक खपत 1.3 अरब टन रह सकती है जो इस वर्ष की अनुमानित खपत 1.2 अरब टन के मुकाबले 6.5 फीसदी अधिक है। (बिज़नस भक्सर)

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