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27 अगस्त 2009

खाद्यान्न पैदावार बढ़ाने की योजनाएं लागू करने में सुस्ती

राज्यों में जिला स्तर पर खाद्यान्न फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं जिला स्तर की मशीनरी के मकड़जाल में फंसकर बेकार साबित हो रही हैं। राज्य राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के जरिये पैदावार बढ़ाने में विफल हो रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह वृहत जिला कृषि योजना (सी-डीएपी) में व्याप्त खामियां हैं।ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय संस्थान हैदराबाद के निदेशक डॉ. एस. राजकुट्टी का कहना है कि सी-डीएपी को अपनी योजनाएं जिला योजना समिति (डीपीसी) को सौंपनी होती है जो इसे स्वीकृति प्रदान करती है। परंतु देश के कई राज्यों में अब तक डीपीसी का गठन ही नहीं किया गया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार 10 राज्यों में डीपीसी नहीं है और छह राज्यों में डीपीसी सभी जिलों में मौजूद नहीं हैं। देश के सिर्फ आठ राज्यों में डीपीसी सभी जिलों में मौजूद है। केंद्र शासित राज्यों में चंडीगढ़ और पुडूचेरी में अभी तक डीपीसी का गठन नहीं हुआ है। ऐसी सूरत में आरकेवीवाई बेकार साबित हो रही है। डॉ. राजकुट्टी का कहना है कि आरकेवीवाई द्वारा दो स्ट्रीम में फंडिंग की जाती है। स्ट्रीम-1 के तहत 75 फीसदी फंड राज्यों को दिए जाते हैं और स्ट्रीम-2 के अंतर्गत बाकी की 25 फीसदी राशि दी जाती है। डॉ. राजकुट्टी ने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक स्ट्रीम-1 की राशि का चार राज्यों में कोई उपयोग नहीं किया गया। तीन राज्यों में करीब 25 फीसदी तक, दो राज्यों में 26 से 50 फीसदी तक, चार राज्यों में 50 से 75 फीसदी तक उपयोग किया गया। सिर्फ हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल ने 75 फीसदी से अधिक स्ट्रीम-1 के पैसे का उपयोग किया है। हालांकि मौजूदा मानसून के विफल होने के कारण कई राज्यों ने आरकेवीवाई के तहत अतिरिक्त राशि की मांग की है। कर्नाटक को केंद्र ने आरकेवीवाई के तहत 410 करोड़ रुपये दिए हैं। उड़ीसा ने 45 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग की है। असम ने 630.61 करोड़ रुपये की मांग की है। कमोबेश यही हाल 17 राज्यों में चलाए जा रहे। देश के 17 राज्यों के लिए वित्त वर्ष 2009-10 में धान, गेहूं, दालों और प्रचार-प्रसार के लिए 14.43 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इनमें से आठ राज्यों ने रबी मौसम की प्रमुख फसल गेहूं के लिए मिशन के तहत अभी तक कोई राशि प्राप्त नहीं की है। खरीफ की पैदावार में कमी आने की आशंका के मद्देनजर रबी की पैदावार बढ़ाने के लिए आरकेवीवाई और एनएफएसएम बेहद महत्वपूर्ण है और इनकी सफलता के लिए राज्य सरकारों का सकारात्मक रुख आवश्यक है। (बिज़नस भास्कर)

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