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31 जुलाई 2009

...तो इसलिए भी महंगे हो रहे हैं अनाज?

नई दिल्ली: राशन की दुकान पर खड़े होकर महंगाई के लिए अगर आप केवल बारिश के देवता को कोस रहे हैं, तो शायद इंद्र के साथ कुछ ज्यादती होगी। दरअसल यहां धरती पर भी कई लोग हैं, जो आपकी जिंदगी को मुश्किल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। खाद्यान्नों का उत्पादन करने वाले इलाकों से डिलीवरी में 20 से 30 फीसदी तक की कमी दर्ज की जा रही है। खाद्यान्नों की ढुलाई के जो आंकड़े मिले हैं, उससे स्पष्ट है कि जुलाई के महीने में कृषि से जुड़े ट्रकों के फेरे कम हुए हैं। साफ है कि जमाखोरी जोरों पर है। इंडियन फाउंडेशन फॉर ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) के अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। दिल्ली और खाद्यान्न उत्पादन इलाकों की विभिन्न एग्रीकल्चर प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) से मिले ट्रकों के संचालन संबंधी आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया, 'जून के दूसरे हफ्ते से अब तक दाल और खाद्यान्न की राज्य के भीतर और राज्यों के बीच ढुलाई 20 से 30 फीसदी तक कम हो गई गई है। इस दौरान इन कमोडिटी की कीमत में तेज उछाल आया है। कमजोर मॉनसून और अपेक्षाकृत कम क्षेत्र में बुआई की खबरों ने आवश्यक खाद्य पदार्थों की जमाखोरी की संभावना खोल दी, जिससे ट्रकों को कम ढुलाई के लिए कम खाद्यान्न मिला।' आईएफटीआरटी के वरिष्ठ फेलो एस पी सिंह ने ईटी को बताया, 'गुजरात और महाराष्ट्र से तिलहन की आवक में कमी आई है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से सोयाबीन और पंजाब, हरियाणा तथा पूर्वी राजस्थान (गंगानगर आदि) से गेहूं की ढुलाई में 20 से 30 फीसदी की कमी आई है। मध्य प्रदेश और राजस्थान से दालों की आवक भी घटी है। इस काम से जुड़े ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि बाजार काफी कम है। संबंधित इलाकों की एपीएमसी के आंकड़े भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।' सिंह ने कहा, 'उत्पादन वाले इलाके के होल सेलर चढ़ती कीमतों को देखकर धीरे-धीरे माल निकाल रहे हैं। यह एक तरह की होर्गिंड ही है। ऐसे में दिल्ली जैसे गैर उत्पादक राज्यों में कीमतें बढ़ना सामान्य है। दरअसल दालों का आयात पहले ही कम हो चुका है। ऐसे में कारोबारी इस स्थिति का फायदा उठाना चाह रहा है।' उधर दिल्ली व्यापार महासंघ के चेयरमैन ओम प्रकाश जैन का कहना है कि दिल्ली में कारोबारियों को ज्यादा भंडारण की इजाजत नहीं है इस वजह से कई बार मांग के मुकाबले सप्लाई की स्थिति खराब हो जाती है। जैन के मुताबिक, 'हमें मिल वालों को दाल सप्लाई करने के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों को भी दालों की सप्लाई करनी पड़ती है। ऐसे में सरकार को हमें ज्यादा भंडारण करने की इजाजत देनी चाहिए।' राजधानी फ्लोर मिल के एस पी जैन के मुताबिक, 'बाजार में ऊंची कीमतों का ट्रेंड बना हुआ है। बाजार में दालों की कमी नहीं है, लेकिन इस बार इनका सरप्लस न होने की वजह से भी कीमतों में कुछ तेजी बनी हुई है।' जैन कहते हैं कि अब मांग में कमी आ रही है और इससे आने वाले दिनों में दालों की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। (ET Hindi)

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