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25 जुलाई 2009

चीनी मिलों पर किसानों का एक हजार करोड़ रुपये भुगतान बाकी

देशभर में चीनी मिलों पर किसानों से गन्ना खरीद का करीब 1,023 करोड़ रुपये अभी भी बाकी है। किसानों का सबसे ज्यादा पैसा उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर बाकी है।कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने राज्यसभा में लिखित जवाब में बताया कि इस मामले में स्थिति काफी खराब है। विभिन्न राज्यों में चीनी मिलों पर 314.24 करोड़ रुपये सितंबर 2008 से चालू मौजूदा सीजन से पहले का भुगतान बाकी है। इस साल 30 अप्रैल तक चालू सीजन के दौरान खरीदे गए गन्ने का 709.02 करोड़ रुपये बाकी है। उत्तर प्रदेश की मिलों पर 53 फीसदी एरियर बाकी है। इसी तरह पिछले सीजन के एरियर को मिलाकर कुल 1,023 करोड़ रुपये बाकी भुगतान में उत्तर प्रदेश की मिलों पर 474.42 करोड़ रुपये बाकी है।इस तरह यूपी की मिलों पर 47 फीसदी देनदारी है। चीनी उद्योग के एक अधिकारी के अनुसार गन्ने के वैधानिक न्यूनतम मूल्य (एसएमपी) और राज्य के परामर्श मूल्य (एसएपी) में भारी अंतर होने के कारण यूपी में मिलों पर एरियर ज्यादा बाकी है। एसएमपी जहां केंद्र सरकार गन्ने की लागत के आधार पर तय करती है जबकि राज्य अपने स्तर पर एसएपी निर्धारित करते हैं। राज्य द्वारा निर्धारित एसएपी केंद्र के एसएमपी से ऊंचा है। यूपी में राज्य सरकार ने चालू सीजन वर्ष 2008-09 के लिए गन्ने का एसएपी 140 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था जबकि केंद्र सरकार का एसएमपी 81.80 रुपये प्रति क्विंटल था। उधर पवार ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है कि किसानों ने मिलों से भुगतान न मिल पाने के कारण गन्ने की खेती करना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीनी के भाव में तेजी आने की वजह गन्ने का कम उत्पादन रही है। गन्ने की कमी के कारण चीनी का उत्पादन कम रहा। इसके कारण खुले बाजार में नॉन लेवी चीनी का मूल्य बढ़ता चला गया। (Business Bhaskar)

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