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25 जुलाई 2009

गैर बासमती चावल व गेहूं के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध

कम मानसून के कारण गहराए संकट से निपटने के लिए सरकार ने गैर बासमती चावल और गेहूं के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार राज्यों द्वारा किसानों को मुहैया कराए जाने वाले डीजल पर सब्सिडी का आधा बोझ भी उठाएगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों की गुरुवार की रात हुई बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसकी जानकारी खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने राज्यसभा में दी।गुरुवार की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कैबिनेट मंत्रियों को मानसून एवं खरीफ फसलों की बुवाई की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया गया था। एक ध्यानाकर्षन नोटिस का जवाब देते हुए पवार ने कहा कि त्नखास राजनयिक पहलत्न के तहत गैर बासमती चावल और गेहूं के जिस सीमित निर्यात की इजाजत दी गई है, अब उस पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले साल कमरतोड़ महंगाई के लंबे दौर में केंद्र सरकार ने गैर बासमती चावल और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, खास राजनयिक जरूरतों को ध्यान में रखकर सीमित मात्रा में इनके निर्यात की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा, त्नकेंद्र सरकार इस पर भी विचार करेगी कि किसानों द्वारा लिए जा चुके कर्जे की अदायगी की अवधि में किस तरह के बदलाव किए जा सकते हैं। हम कुछ खास रियायतों और सुविधाओं को आगे भी बरकरार रखने जा रहे हैं। हम इस बारे में निर्णय लेंगे। हम किसानों से जोर-जबरदस्ती के साथ कर्ज वसूली जैसा कोई फैसला नहीं करेंगे।पवार ने कहा कि बिहार सरकार कम बारिश के मौजूदा संकट को देखते हुए किसानों को जो डीजल दे रही है उस पर सब्सिडी का आधा बोझ केंद्र सरकार उठाएगी। बिहार सरकार ने इस बारे में उनसे आग्रह किया था। कृषि मंत्री ने कहा कि हम इसी तरह की सहायता अन्य राज्यों को भी देंगे। पवार ने कमजोर मानसून के कारण देश में अनाज की किल्लत होने की आशंकाओं को निराधार बताया। उन्होंने कहा, त्नदेश में अनाज का पर्याप्त स्टॉक है। हमारे पास 13 महीने के लिए अनाज का पर्याप्त स्टॉक है।त्न वैसे तो पवार ने अरहर दाल की कीमतों के बढ़कर 95-100 रुपये किलो हो जाने पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह कुछ ही दिनों की बात है। इसको ध्यान में रखकर राज्यों को वित्तीय मदद देने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, पवार ने यह नहीं बताया कि मौजूदा संकट का सामना करने के लिए कैसी आयात रणनीति अपनाई जाएगी क्योंकि इससे दालों के अंतरराष्ट्रीय मूल्य प्रभावित हो सकते हैं। पवार ने बताया कि प्रधानमंत्री कमजोर मानसून से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर काफी गंभीर हैं। (Business Bhaskar)

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