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24 जून 2009

बारिश में देरी से गिर सकता है चीनी उत्पादन

नई दिल्ली June 23, 2009
मानसून में देरी की वजह से महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन प्रभावित हो सकता है, जो देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है।
उत्तर प्रदेश के चीनी मिल मालिकों का कहना है कि अगर मानसून जून के बाद आता है तो चीनी की रिकवरी कम हो जाएगी, जिसका सीधा असर चीनी के उत्पादन पर पड़ेगा।
महाराष्ट्र स्टेट कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नैकनवारे ने कहा कि 'मानसून में देरी का असर गन्ने के उत्पादन और चीनी की रिकवरी दोनों पर पड़ेगा। प्रारंभिक रूप से हम लोग उम्मीद कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में उत्पादन 2009-10 सत्र में 53 लाख टन होगा। अब शायद उत्पादन 50 लाख टन पर सिमट जाए।'
कुछ ऐसी ही स्थिति उत्तर प्रदेश में है, जहां अभी तक बारिश नहीं हुई है। सिंभावली शुगर्स के निदेशक (वित्त) संजय ताप्रिया ने कहा, 'गन्ने की फसल के लिए यह समय विकास का होता है। अगर अगले 10 दिनों में बारिश नहीं होती है तो हम लोगों को समस्या हो सकती है। इससे फसल की उत्पादकता 10-15 प्रतिशत कम हो जाएगी। इसके चलते पेराई का सत्र भी देर से शुरू हो सकता है।'
धामपुर शुगर्स के अध्यक्ष (वित्त) अरिहंत जैन ने कहा कि उत्पादकता प्रभावित होने के साथ मानसून में अगर 10 दिन और देरी होती है तो रिकवरी भी कम होगी। धामपुर शुगर्स की उत्तर प्रदेश में 4 चीनी मिलें हैं। चालू सत्र (2008-09) में चीनी का उत्पादन तीन साल के न्यूनतम स्तर पर रहा और कुल उत्पादन 147 लाख टन हुआ। उत्पादन में पिछले सत्र की तुलना में 44 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। वार्षिक अनुमानित मांग 220 लाख टन है।
उत्पादन में आई कमी के चलते चीनी की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गईं। उत्तर प्रदेश में एक्स- फैक्टरी शुगर कीमतें करीब 50 प्रतिशत बढ़ीं। यह तेजी 2008-09 सत्र की शुरुआत के बाद से अक्टूबर की है। इस समय इसकी कीमतें 2,375-2,400 रुपये प्रति क्विंटल हैं। चीनी की कमी इस कदर हुई कि भारत इसका शुध्द आयातक बन गया।
ऐसा तीन साल के बाद पहली बार हुआ है। सरकार ने शुल्क मुक्त चीनी के आयात की अनुमति भी दे दी। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों को 10 लाख टन रिफाइंड चीनी के आयात की अनुमति मिली, जो शुल्क मुक्त रहेगी। उद्योग जगत इस साल चीनी के उत्पादन को लेकर आशान्वित है।
बहरहाल बारिश में देरी के चलते चीनी के अनुमानित उत्पादन में कमी आने के आसार हैं। तप्रिया ने कहा कि अगले सत्र में कुल 190-200 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब इसमें कमी के अनुमान लगाए जा रहे हैं। (BS Hindi)

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