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30 जून 2009

तेजी से बढ़ीं दाल की कीमतें

नई दिल्ली: पिछले साल कई हफ्तों तक खाद्य पदार्थों की महंगाई में दाल की तेज कीमतों का असर देखने को मिला। इस साल मॉनसून की देरी से प्रमुख दाल उत्पादक क्षेत्रों में बुआई फिलहाल रोक दी गई है और यह आम लोगों के साथ सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। पिछले पंद्रह दिनों में दाल की थोक कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। इस साल दलहन के उत्पादन क्षेत्र में कमी आने का अनुमान है। 19 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक किसानों ने खरीफ के सीजन में 1,81,200 हेक्टेयर में दाल की पैदावार की है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.8 फीसदी कम है। कमोडिटी जानकारों का कहना है कि इस साल पूरे देश में मानसून सामान्य से कम रहने की आशंका के बीच दालों की कीमत में तेजी का रुख रह सकता है।
जानकारों का कहना है कि इस सीजन में उपभोक्ताओं को उड़द, मूंग, मसूर, मोंठ और अरहर की दाल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। क्रॉप वेदर वॉच रिपोर्ट के मुताबिक मानसून के सामान्य से कम रहने की घोषणा के बाद 25 जून से दालों की कीमतों में तेजी शुरू हो गई है। मसूर (छोटी और बड़ी) की कीमत बढ़कर क्रमश: 4,200-4300 रुपए प्रति क्विंटल और 4,000-4,100 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई हैं, जो कि 10 जून के मुकाबले 50 रुपए प्रति क्विंटल अधिक हैं। मलका (बेस्ट) की कीमत 4,900-5,000 रु प्रति क्विंटल, उड़द (महाराष्ट्र) की कीमत 3,050-3,450 रुपए, उड़द (बेस्ट) 4,400-4,900 रु प्रति क्विंटल है। वहीं मोंठ के दाम 3,200-3,300 रुपए प्रति क्विंटल, अरहर (महाराष्ट्र) की कीमत 4,000-4,100 रुपए और अरहर (रंगून) के दाम 4,000-4,100 रुपए प्रति क्विंटल हैं। मौजूदा समय में सबसे सस्ती चने की दाल है, हालांकि पिछले पंद्रह दिनों में इसकी कीमतों में भी तेजी आई है। 10 जून 2009 के आंकड़ों के मुताबिक चने की दाल की थोक कीमत में 50 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा हुआ है। जानकारों का कहना है कि मानसून की मौजूदा स्थिति और खरीफ सीजन में दालों की पैदावार की संभावना को देखते हुए चने की कीमतों में पहले ही उछाल का रुख चालू हो चुका है। रीटेलरों द्वारा खरीदारी किए जाने से आने वाले दिनों में इसकी कीमतों में और तेजी आएगी। एंजेल कमोडिटीज के एक रिसर्च एनालिस्ट ने बताया, 'पिछले शुक्रवार को प्रॉफिट बुकिंग के बावजूद मजबूत सेंटीमेंट के कारण चने की कीमतों को समर्थन मिला है। आने वाले दिनों में बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण चने के वायदा कारोबार में सुधार आएगा। दूसरी दालों की कीमतों में जारी तेजी से भी चने की कीमतों को समर्थन मिलेगा।' (ET Hindi)

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