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22 मई 2009

आयात से भी रबर खरीदारों को राहत नहीं

कोच्चि May 21, 2009
प्राकृतिक रबर की बड़ी मात्रा में आयात से रबर के उपभोक्ताओं को कोई राहत नहीं मिल रही है क्योंकि कीमतें अब भी बहुत ज्यादा हैं।
भारत के रबर आयात में अचानक ही बढ़ोतरी होने लगी और इस साल आयात के दोगुना होकर 1,60,000 टन होने की संभावना है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कीमतें, भारतीय कीमतों के मुकाबले कम हैं।
हालांकि देश में सबसे ज्यादा रबर उत्पादन वाले राज्य केरल में भी सीजन काफी मंदा नजर आ रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है और वैकल्पिक सिंथेटिक रबर की कीमतें बढ़ गई। प्राकृतिक रबर की घरेलू कीमतें आयात में बढ़ोतरी होने के बावजूद नहीं गिरी हैं। कुछ हफ्ते पहले कीमतें 102 रुपये प्रति किलोग्राम थीं और मौजूदा वक्त में कीमतें 96 रुपये हैं।
स्थानीय रबर आधारित उद्योगों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक रबर का बजार ज्यादा फायदेमंद है। खासतौर पर टायर निमार्र्णकत्ताओं के लिए रबर के आयात में तेजी आई है। इस जिंस बोर्ड के ताजा अनुमान के मुताबिक इस अप्रैल में 8175 टन का आयात किया गया है। पिछले साल अप्रैल के 4391 टन के आयात के मुकाबले इस साल यह लगभग दोगुना है।
आयात को दोगुना करने की सबसे खास वजह इसकी कीमत है। औसतन स्थानीय कीमत अप्रैल में 20 रुपये प्रति किलोग्राम ज्यादा थी। हालांकि हालांकि अब यह 12-13 रुपये तक हो गया है। भारतीय बाजार में प्राकृतिक रबर की कीमतें ज्यादा हैं और इसी वजह से कर मुक्त आयात का रास्ता तैयार होता है।
मौजूदा वर्ष के पहले चार महीने के दौरान (जनवरी-अप्रैल) कुल आयात 23,972 टन रहा जबकि पिछले साल समान अवधि में 21,959 टन रहा। मार्च से आयात में बढ़ोतरी हुई। पिछले साल मार्च में 4278 टन आयात के मुकाबले इस साल मार्च में 7404 टन आयात किया गया।
मार्च से भारतीय बाजार में उछाल आ रहा है और आयात में भी बढ़ोतरी हो रही है। टायर उद्योग के सूत्रों के मुताबिक मई में आयात में और तेजी आ सकती है और यह 15,000 टन पार कर सकता है। मौजूदा अंतरराष्ट्रीय बाजार में आयातित रबर की प्रति किलोग्राम लागत, फैक्टरी तक पहुंचने में 90 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।
जबकि स्थानीय बाजार से रबर की खरीद पर कीमत 106 रुपये होती है। कीमतों में फायदा होने की वजह से ही भारत में ज्यादा आयात की मांग बढ़ेगी। वर्ष 2008-09 में औसतन हरेक महीने आयात 6660 टन था। मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह दोगुना होकर कुल वार्षिक आयात 160,000 टन हो जाएगा। वर्ष 2008-09 में कुल आयात 79,927 टन था।
स्थानीय कारोबारियों को उम्मीद है कि इस स्थिति से जून में कुछ राहत मिल सकती है जब मानसून शुरू हो जाएगा। इसके अलावा उत्पादन बहुत ज्यादा सक्रिय होगा। मौजूदा वैश्विक बाजार में ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले महीनों में प्राकृतिक रबर का ज्यादा आयात होगा। इसी बीच अप्रैल में निर्यात को झटका लगा है। (BS Hindi)

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