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30 मई 2009

उत्तर भारत में बीटी कॉटन की बुवाई का रकबा ज्यादा

चालू बुवाई सीजन में उत्तर भारत के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बीटी कॉटन की बुवाई ज्यादा क्षेत्रफल में हुई है। प्रति हैक्टेयर पैदावार ज्यादा होने के कारण किसानों ने बीटी कॉटन की बुवाई को प्राथमिकता दी है।राशि सीड के रीजनल बिजनेस मैनेजर निरंजन सिंह ने बताया कि चालू बुवाई सीजन में किसानों ने बीटी कॉटन की बुवाई को प्राथमिकता दी है। अभी तक पंजाब में करीब 90 फीसदी बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है जबकि हरियाणा में 80 फीसदी क्षेत्रफल में बुवाई हो चुकी है। राजस्थान में भी 70 से 75 फीसदी बुवाई का कार्य हो चुका है। उन्होंने बताया कि पिछले साल के मुकाबले उत्तर भारत में राशि सीड के कॉटन सीड की बिक्री में भारी बढ़ोतरी हुई है। श्रीराम बायोसीड जेनेटिक इंडिया लिमिटेड के डिप्टी जनरल मैनेजर डॉ शरद कुमार सिंह ने बताया कि चालू बुवाई सीजन में किसानों ने बीटी कपास की बुवाई ज्यादा क्षेत्रफल में की है। चालू बुवाई सीजन में उनकी बिक्री में करीब ढ़ाई से तीन गुना तक इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि बीटी कॉटन में भी बोल्गार्ड-2 में सूंडियों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होने के कारण किसानों द्वारा बोल्गार्ड-2 की ज्यादा बुवाई की गई है। चालू वर्ष में जैसा कि मौसम विभाग द्वारा भविष्यवाणी की जा रही है मानसून अच्छा रहेगा तो कपास उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी की संभावना है।नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल कॉटन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी जिससे किसानों को अपनी फसल के वाजिब दाम मिले थे। अत: किसानों ने चालू बुवाई सीजन में कॉटन की ज्यादा बुवाई की है। उत्तर भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में इसके बुवाई क्षेत्रफल में करीब दस फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है।कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया के सूत्रों के मुताबिक चालू सीजन में 23 मई तक उत्पादक मंडियों में 276 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो) की आवक हो चुकी है जोकि पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले कम है। पिछले साल की समान अवधि में कुल आवक 305 लाख गांठ की हुई थी। इसमें उत्तर भारत पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के राज्यों की मंडियों में आवक 46 लाख गांठ के मुकाबले घटकर 39 लाख गांठ की हुई है। मध्य भारत के गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी आवक पिछले साल के 191 लाख गांठ के मुकाबले घटकर 162 लाख गांठ की ही हुई है। दक्षिण भारत के राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में आवक 54 लाख गांठ से बढ़कर करीब 62 लाख गांठ की हुई है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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