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21 मई 2009

डॉलर गिरने से सोयामील निर्यात घटने का अंदेशा

अप्रैल से जून की अवधि के दौरान सोयामील के निर्यात में 28 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। इसके लिए डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती, स्थानीय आपूर्ति में कमी और बड़े आयातकों की मांग में आई कमी मुख्य वजह है। यह जानकारी इस उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। इस दौरान सोयामील निर्यात तीन लाख टन रहने का अनुमान है। जबकि पिछले साल की इस अवधि में भारत ने 4.16 लाख टन सोयामील का निर्यात किया था। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोशिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने कहा कि रुपये का अधिमूल्यन भारतीय निर्यात को प्रभावित कर रहा है। इस महीने में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया साढ़े चार फीसदी मजबूत हुआ है। सोयामील के निर्यात में कमी के लिए अन्य कारणों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि पेराई तकरीबन खत्म हो गई है और सोयाबीन की आवक कमजोर हो गई है। इसलिए जब तक आवक मजबूत नहीं होगी, तब तक निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि इस साल जनवरी से मार्च के दौरान रोजाना एक लाख बोरी सोयाबीन बाजार में आ रही थी लेकिन अब सोयाबीन की आवक रोजाना 80,000 बोरी रह गई है। पिछले कुछ महीने से भाव चढ़ने की वजह से दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से मांग में कमी आई है। जनवरी से मार्च के दौरान सोयामील का भाव 400 डॉलर प्रति टन था। अभी यह बढ़कर 470 डॉलर प्रति टन हो गया है। निर्यात बढ़ाने के लिए एसईए भेजेगा दलनई दिल्ली। ऑयलमील निर्यात बढ़ाने की संभावनाए तलाशने के मकसद से सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने पंद्रह सदस्यीय एक दल दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भेजने का फैसला किया है। यह दल थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया का दौरा करके वहां के बाजार में ऑयलमील के क्षेत्र में भारतीय हिस्सेदारी को मजबूत करने की कोशिश करेगी। यह दल नए बाजार तलाशने का काम भी करेगा। (Business Bhaskar)

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