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27 मई 2009

निजी फर्मों को आटा, सूजी निर्यात की अनुमति संभव

गेहूं निर्यात के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियों को ही अनुमति मिलने की संभावना जताई जा रही है। निजी क्षेत्र की कंपनियों को गेहूं के बजाय गेहूं उत्पादन जैसे आटा, मैदा, सूजी के निर्यात की अनुमति दी जा सकती है। गेहूं निर्यात के लिए राज्य स्तरीय एक एजेंसी को भी अनुमति मिल सकती है।इस महीने की शुरूआत में सचिवों की समिति की बैठक में सरकारी कंपनियों पीईसी, एमएमटीसी और एसटीसी को गेहूं निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया। समिति का मानना था कि हर राज्य की अधिसूचित एक राज्यस्तरीय एजेंसी को भी गेहूं निर्यात की मंजूरी दी जाए। वहीं निजी क्षेत्र के निर्यातकों को आटा, मैदा और सूजी जैसे गेहूं उत्पादों के निर्यात को मंजूरी देने का फैसला लिया गया था। सूत्रों का मानना है कि गेहूं उत्पादों के निर्यात की प्रत्यक्ष मंजूरी निजी निर्यातकों को दिए जाने का फैसला किया। गेहूं उत्पादों के निर्यात में सार्वजनिक कंपनियों को अनुमति नहीं होगी।मार्च में अधिकार प्राप्त मंत्री समूह ने 15 मई के बाद 20 लाख टन की सीमा के साथ गेहूं व गेहूं उत्पादों के निर्यात को हरी झंडी दी थी। उसके बाद सचिवों की समिति को इसके बार में नियम और शर्तें तय करने का अधिकार दिया गया था। इस महीने की शुरूआत में वाणिज्य सचिव जी. के. पिल्लै ने चुनाव बाद गेहूं निर्यात की अधिसूचना जारी होने की उम्मीद जताई थी। निर्यात के लिए सरकार की ओर से कोई रियायत दिए जाने की उम्मीद नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय को एजेंसियों के बीच मात्रा तय कर निर्यात पर निगरानी रखने को कहा गया। खाद्य मंत्रालय ने कुछ बंदरगाहों पर गेहूं निर्यात पर निगरानी रखने का भी सुझाव दिया था। साल 2007-08 में केंद्र सरकार ने कहा था कि यदि आगमी दो सालों में गेहूं की बंपर पैदावार होती है तो इसके निर्यात को मंजूरी दी जा सकती है। पिछले साल के दौरान देश में करीब 7.85 करोड़ टन गेहूं की पैदावार हुई थी। (Buisness Bhaskar)

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