कुल पेज दृश्य

28 मई 2009

निर्यातकों की मांग घटने से जीरे में 12 फीसदी की गिरावट

निर्यातकों की मांग घटने से पिछले पंद्रह दिनों में जीरे की कीमतों में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। ऊंझा मंडी में बुधवार को जीरे की कीमतें घटकर 11,500- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गई जबकि पंद्रह दिन पहले इसके भाव 13,000- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल थे। टर्की और सीरिया में जीरे की नई फसल की आवक जून महीने में शुरू होगी। जिसे देखते हुए खाड़ी देशों के आयातकों की मांग भारत से घट गई है। रुपये के मुकाबले डॉलर में आई गिरावट से भी निर्यात पर दबाव बना हुआ है। ऐसे में इसके मौजूदा भावों में और भी 200-300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की संभावना है।जीरा व्यापारी कुनाल शाह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि टर्की और सीरिया में जीरे की नई फसल की आवक जून महीने में शुरू होगी। जिसके कारण खाड़ी देशों के आयातकों की मांग भारत से घट गई है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे के भाव 2200 डॉलर प्रति टन (एफओबी) चल रहे हैं। चालू सीजन में टर्की और सीरिया में जीरे का उत्पादन 42 से 45 हजार टन होने की उम्मीद है। हालांकि भारत से यूरोप की मांग अभी भी बनी हुई है लेकिन इसमें भी पहले की तुलना में कमी आई है। ऊंझा मंडी के जीरा व्यापारी पंकज भाई पटेल ने बताया कि मंडी में जीरे की दैनिक आवक घटकर चार-पांच हजार बोरी (एक बोरी 40 किलो) की रह गई है। लेकिन मांग कमजोर होने से आवक घटने के बावजूद भावों में गिरावट बनी हुई है।इस समय मंडी में जीरे का करीब पांच-छह लाख बोरी का स्टॉक हो चुका है जो कि पिछले साल के लगभग बराबर ही है। निर्यातकों के साथ-साथ घरेलू मांग भी कमजोर होने से इसकी गिरावट को बल मिल रहा है। अत: मौजूदा भावों में और भी मंदी आ सकती है। मालूम हो कि पिछले साल देश में जीरे का उत्पादन 26 लाख बोरी का हुआ था। लेकिन चालू वर्ष में इसका उत्पादन घटकर 20-21 लाख बोरी ही होने की संभावना है। नई फसल के समय जीरे का बकाया स्टॉक भी पांच से साढ़े पांच लाख बोरी का ही बचा था जोकि पिछले साल के मुकाबले करीब आधा था। पिछले वर्ष नई फसल के समय जीरे का बकाया स्टॉक साढ़े दस से ग्यारह लाख बोरी का था।भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 के पहले ग्यारह महीनों में देश से जीरे के निर्यात में करीब 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। इस दौरान भारत से 31,000 टन जीरे का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 23,715 टन का हुआ था। सूत्रों के अनुसार टर्की और सीरिया में जीरे के उत्पादन में आई गिरावट से इसके निर्यात में बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन चालू फसल सीजन में अभी तक के मौसम को देखते हुए टर्की और सीरिया में उत्पादन अच्छा होने की संभावना है। ऐसे में वित्त वर्ष 2009-10 में जीरे का निर्यात घटने की आशंका है। (Buisness Bhaskar...R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: