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20 मई 2009

कमजोर मांग से निकिल में 10 फीसदी की गिरावट

औद्याोगिक मांग कमजोर पड़ने के कारण पिछले दो सप्ताह के दौरान निकिल के मूल्यों में दस फीसदी की गिरावट आ चुकी है। दरअसल अप्रैल माह में इसकी कीमतों में तेजी आने के बाद इसकी खरीदारी कम हो रही है। निकिल का सबसे अधिक 65 फीसदी उपयोग स्टैनलेस स्टील में किया जाता है। लंदन मेटल एक्सचेंज(एलएमई) में इस ईरान निकिल के दाम 13150 डॉलर से घटकर 12क्म्म् डॉलर प्रति टन रह गए हैं। जबकि पिछले साल इन दिनों भाव करीब 27000 डॉलर प्रति टन थे। जबकि घरेलू हाजिर बाजार में इसके मूल्य 668 रुपये से घटकर स्त्रक्फ् रुपये प्रति किलो पर आ चुके है।वहीं मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में निकिल जून वायदा स्त्रख्स्त्र.ब्क् रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। जबकि एक माह पहले जून अनुबंध के भाव 647 रुपये प्रति किलो थे।कमोडिटी विशेषज्ञ अभिषेक शर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2009 के लिए निकिल उत्पादन में 20 फीसदी कटौती किया गया है। इसके बाद अप्रैल में निकिल के दाम करीब 19 फीसदी बढ़कर 668 रुपये प्रति किलो तक चले गए थे। उनका कहना है कि भाव ऊंचे के कारण खरीदारी घटने से कीमतों में दस फीसदी की गिरावट आ चुकी हैं। कारोबारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में इसके भाव बढ़ने की संभावना है। कारोबारी हरिओम गुप्ता का कहना है कि भाव नीचे आने के बाद कारोबारी इसकी खरीदारी बढ़ा सकते हैं। ऐसे में इसके मूल्यों में फिर से तेजी आ सकती है। एंजिल कमोडिटीज के विश्लेषक अनुज गुप्ता ने बताया कि निवेश के लिए खरीदारी बढ़ने से निकिल के मूल्यों में तेजी आने के संकेत है। इंटरनेशनल निकिल स्टडी ग्रुप के मुताबिक वर्ष 2009 के लिए प्राइमरी रिफाइंड निकिल का उत्पादन घटकर 12.6 लाख टन होने की संभावना है। वर्ष 2008 में इसका उत्पादन 13.9 लाख टन हुआ था। जबकि 2007 में इसका उत्पादन 14.2 लाख टन हुआ था। वहीं वर्ष 2009 में इसकी खपत 9 फीसदी घटकर 11.8 लाख रहने की संभावना है। जबकि वर्ष 2007 में इसकी खपत 13.1 लाख टन थी। निकिल की सबसे अधिक खपत स्टैनलेस स्टील में 65 फीसदी, इलैक्ट्रोप्लेटिग आठ फीसदी, केमिकल पांच फीसदी, और अन्य में 22 फीसदी होती है। (Buisness Bhaskar)

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